अयोध्या विवाद पर इसी महीने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद है। इसे देखते हुए दिल्ली के छतरपुर में हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक में मंथन किया गया। फैसले के बाद सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की गई। बता दें कि 40 दिन तक चली सुनवाई के बाद अयोध्या मामले पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जम्न्भूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति से पूर्व यानी 17 नवम्बर से पहले आने की उम्मीद है।
बुधवार और गुरुवार को संघ की बैठक में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी उपस्थित रहे। बैठक में चर्चा अयोध्या पर फैसले के इर्द-गिर्द घूमती रही। राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने की उम्मीदों को लेकर जहॉं खुशी जाहिर की गई। साथ ही यह भी तय किया गया कि ऐसा कुछ भी न हो जिससे दूसरे पक्ष की भावनाओं को ठेस पहुॅंचे।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बैठक में कहा गया कि फैसले के बाद देश का सद्भाव नहीं बिगड़ना चाहिए। इसके साथ ही कोई ऐसी बात न हो जिससे किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुॅंचे। संघ के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ऐसे मौके पर किसी भी तरह के आक्रामक तेवर के लिए कोई जगह नहीं है। खासकर जुलूस जैसी चीजों से दूर रहना होगा, जो समुदाय विशेष के खिलाफ हों।
संघ के एक पदाधिकारी के मुताबिक हम फैसला अपने पक्ष में आने को लेकर आशान्वित हैं। वैसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में मंदिर स्थान को तीन बराबर भागों में बाँटने का आदेश दिया था। ऐसे में हर फैसले को लेकर खुद को तैयार किया जा रहा है और उसके अनुसार रणनीति तैयार की जा रही है। संघ नहीं चाहता है कि फैसले के बाद किसी भी प्रकार देश का सौहार्द बिगड़े।
बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत सहित सुरेश भैय्याजी जोशी,दत्तात्रेय होसबोले और मनमोहन वैद्य मौजूद थे। वहीं विश्व हिन्दू परिषद से जस्टिस वीएस कोकजे और आलोक कुमार अन्य पदाधिकारियों तथा क्षेत्रीय प्रचारकों के साथ मौजूद थे। फैसले के मद्देनजर आरएसएस नवम्बर महीने के अपने सभी आयोजनों को पहले ही रद्द कर चुका है।