Monday, November 18, 2024
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उधर ठंड से मर रहे थे बच्चे, इधर सपा सरकार ने सैफई पर उड़ा दिए ₹334 Cr: नाचते थे सलमान, मुलायम सिंह के पाँव पर लोटते थे रणवीर

मुजफ्फरनगर के राहत शिविरों में बच्चों की मौत हो रही थी, लेकिन इसे अफवाह बताते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि भाजपा के लोग उनकी पार्टी की सरकार की छवि बदनाम करने के लिए अफवाह फैला रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासनकाल में इटावा के सैफई गाँव में हर साल एक आयोजन होता है। इसका नाम है – ‘सैफई महोत्सव’। ये मुलायम सिंह यादव का पैतृक गाँव है। उनके बड़े से परिवार के दर्जनों सदस्य अलग-अलग पदों पर विराजमान रहे हैं, ऐसे में समाजवादी पार्टी के शासनकाल में इसमें राजनीति और सिनेमा का गठजोड़ देखने को मिलता था। सरकारी रुपए पानी की तरह बहाए जाते थे और कोई टोकने वाला नहीं होता था। अभिनेता सलमान खान से लेकर संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद तक इसमें शिरकत कर चुके हैं।

अखिलेश यादव की सरकार बनने के बाद सैफई में उतर आता था पूरा बॉलीवुड

2012 में जब अखिलेश यादव की सरकार बनी, उसके बाद इस महोत्सव को लेकर पूरा सरकारी महकमा ही तैयारी में लगा रहता था। दिसंबर 2012 में जब इसका आयोजन हुआ, तो इसमें गायक कैलाश खेर की प्रस्तुति से लेकर मुनव्वर राना जैसे शायरों के भी कार्यक्रम हुए। पाकिस्तान से कॉमेडियन इरफ़ान अली हसन को बुलाया गया था। कपिल शर्मा ने भी कॉमेडी की प्रस्तुति दी थी। गायिका सपना मुखर्जी के कार्यक्रम हुए। श्यामक डावर की टीम ने डांस की रंगारंग प्रस्तुतियाँ दी थीं

इन सबके अलावा बॉलीवुड के गायक शान को भी बुलाया गया था। मशहूर अभिनेता हृतिक रौशन भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने थे। नीचे संलग्न किए गए वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे हृतिक रौशन की प्रस्तुति के बाद उन्हें अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। ‘सैफई महोत्सव’ का कार्यक्रम 14 दिनों तक चलता है, ऐसे में रोज करोड़ों रुपए फूँक दिए जाते हैं। 2007-2012 तक जब मायावती की सरकार थी, तब इस महोत्सव का रंग ज़रूर फीका पड़ गया था।

इसी तरह 2013 में भी इस कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। उस साल तो हद ही हो गई, जब मुजफ्फरनगर में बच्चे ठंड से मर रहे थे और इधर सैफई में पूरी की पूरी सरकार नाच-गान का आनंद लेने में व्यस्त थी। लड़कियाँ नाच रही थीं, कपिल शर्मा हँसा रहे थे और प्रदेश के नेता-मंत्री मजे ले रहे थे। मुजफ्फरनगर में दंगे हुए थे, लेकिन लेकिन यहाँ राहत शिविरों में रह रहे लोगों को भुला दिया गया था। शाहपुर गाँव के राहत शिविरों ने लोग और तमाम NGO गुहार लगाते रह गए, लेकिन सपा के तत्कालीन सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और तब मुख्यमंत्री रहे उनके बेटे अखिलेश सैफई में मनोरंजन करते रहे।

उन राहत शिविरों में बच्चों की मौत हो रही थी, लेकिन इसे अफवाह बताते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि भाजपा के लोग उनकी पार्टी की सरकार की छवि बदनाम करने के लिए अफवाह फैला रहे हैं। राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव ने तो यहाँ तक कह डाला था कि ठंड से तो कोई मरता ही नहीं है। इस कार्यक्रम को ‘ग्रामीण संस्कृति को बचाने’ के नाम पर चलाया जाता रहा है। इसी क्रम में कव्वाली से लेकर राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी, साइकिल मैराथन और बच्चों की गान प्रस्तुति के अलावा कुश्ती दंगल भी हुआ था।

जनवरी 2014 में जब ये महोत्सव आगे बढ़ा, तो उसके साथ ही समाजवादी पार्टी की गुंडागिरी भी परवान चढ़ी। सैफई में होने वाले महोत्सव में हंगामा होने पर परिस्थिति थोड़ी विपरीत दिखी थी। यहाँ ग्रामीणों ने ही पुलिसवालों को पीट दिया था। दरअसल, हंगामा भड़कने पर पुलिसकर्मियों ने परिस्थिति को नियंत्रित करने के लिए थोड़ी सख्ती दिखाई। उन्होंने हंगामा कर रहे लोगों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें कहाँ पता था कि अखिलेश की सरकार में जनता पुलिस पर हावी हो जाएगी।

उन लोगों ने ही उलटा पुलिस को पीटना शुरू कर दिया। पुलिस ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी शिकायत की, लेकिन मुख्यमंत्री का गाँव होने की वजह से उनके हाथ भी बँधे थे। तत्कालीन सरकार ने इस महोत्सव पर 300 करोड़ रुपए फूँक दिए। खूब नाच-गाने हुए। सभी सरकारी अधिकारियों ने इसका लुत्फ उठाया। बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान और अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को भी प्रोग्राम में शिरकत करने के लिए बुलाया गया था। उधर मुलायम सिंह यादव कहते फिर रहे थे कि राहत शिविरों में एक भी दंगा पीड़ित नहीं हैं, सब घर लौट चुके हैं।

जब सैफई महोत्सव पर फूँक डाले गए थे ₹334 करोड़ रुपए

2014 में हुए ‘सैफई महोत्सव’ पर 334 करोड़ रुपए फूँक दिए गए थे। 1000 से भी अधिक VVIP अतिथियों के रहने-खाने वगैरह की व्यवस्था की जाती थी, वो भी सरकारी खर्चे पर। सिर्फ ‘बॉलीवुड नाईट’ पर ही 100 करोड़ रुपए उड़ा दिए गए थे। 400 से अधिक सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों को इसमें लगाया जाता था। सिर्फ एक उस महोत्सव में लगभग 85 बार हैलीकॉप्टर्स वहाँ उतरे और 9 हवाई जहाज से अतिथि बुलाए गए। रणवीर सिंह और मल्लिका शेहरावत भी इस महोत्सव का हिस्सा बनी थीं।

इसी तरह दिसंबर 2015 में इस आयोजन का उद्घाटन मुलायम सिंह यादव ने किया था। मुलायम सिंह यादव के भतीजे के नाम पर ‘रणवीर सिंह स्मृति सैफई महोत्सव’ के उस 18वें संस्करण में गजल गायन से लेकर भव्य आतिशबाजी तक की व्यवस्था की गई थी। लीजा हेडेन, हृतिक रौशन और रणवीर सिंह पहुँचे थे। बोमन ईरानी, हुमा कुरैशी, गायक अरिजीत सिंह, परिणीति चोपड़ा, जैकलीन फर्नांडिस, सुशांत सिंह, वाणी कपूर, ऋचा चड्ढा और लोरिन डिसूजा जैसी हस्तियों ने इसमें भाग लिया था।

इसी तरह 2016 के आयोजन में भी रणवीर सिंह के अलावा करीना कपूर और सोनम कपूर जैसी अभिनेत्रियाँ पहुँची थीं। सैफ अली खान और उनकी पत्नी करीना कपूर को ‘शाही भोजन’ का आनंद उठाते हुए देखा गया था। गायक अंकित तिवारी के कार्यक्रम हुए। अर्जुन कपूर के साथ लोग थिरके। सोनाक्षी सिन्हा और मीका सिंह जैसे कलाकार भी मंच पर मौजूद थे। रणवीर सिंह तो मुएलएम सिंह यादव के पाँव पर ही लोट गए थे। उस दौरान भी भीड़ ने कुर्सियाँ फेंकी थीं और पुलिसकर्मियों से हाथापाई की थी।

जावेद अली, एली अवराम, करिश्मा तन्ना, सुनील ग्रोवर, अशरफ अली और उदय सिंह गौरी जैसे कलाकारों और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को नचाते रणवीर सिंह देखती हुई भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। नेहा शर्मा और रोशनी चोपड़ा भी उस कार्यक्रम में आई थीं। 2017 में समाजवादी पार्टी के प्रथम परिवार में कलह की वजह से आयोजन नहीं हो पाया। इस साल सरकार भी बदल गई और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस तरह के फालतू सरकारी खर्चों से कोसों दूर हैं।

बता दें कि 1997 में शुरू हुआ ये महोत्सव जिनके नाम पर हैं, वो रणवीर सिंह यादव का 2002 में निधन हो गया था, जिसके बाद उनकी स्मृति में इसे आयोजन किया जाने लगा। उनके बेटे तेज प्रताप सिंह यादव इस पूरे कार्यक्रम का कारभार देखते हैं, जो मैनपुरी से 2014 में मात्र 26 वर्ष की उम्र में सांसद बने थे। ये सीट मुलायम सिंह यादव की ही रही है। उनकी शादी लालू यादव की बेटी राजलक्ष्मी यादव से हुई है। अब ‘सैफई महोत्सव’ का आयोजन नहीं होता और भाजपा की सरकार ऐसे आयोजनों में पैसे खर्च भी नहीं करती।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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