समाजवादी पार्टी के नेता और प्रवक्ता आईपी सिंह द्वारा फेक न्यूज को बढ़ावा देने का मामला सामने आय़ा है। सोमवार (26 जुलाई 2021) को सपा नेता ने एक ट्वीट कर उत्तर प्रदेश पुलिस पर एक निहत्थी महिला की पिटाई करने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक तस्वीर भी पोस्ट की, जिसमें एक पुलिसकर्मी को महिला के ऊपर बैठे देखा जा सकता है। ये वही तस्वीर है, जिसे कुछ दिन पहले सपा प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने 17 जुलाई को ट्वीट किया था। बाद में वह फेक निकली थी।
अपने ट्वीट में आईपी सिंह ने कहा, “योगी की पुलिस का गुंडा एक महिला के ऊपर बैठकर उसे पीट रहा है। आईपीसी या सीआरपीसी के तहत कौन सा कानून पुलिस को महिला को पीटने का अधिकार देता है? सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को पुलिस स्टेट बना दिया है। यूपी में बहनें और महिलाएँ सुरक्षित नहीं हैं। मानवाधिकार आयोग खामोश है। यह एक अघोषित आपातकाल है।” उनके इस ट्वीट के बाद कानपुर देहात पुलिस ने एक बार फिर से दावों को खारिज कर दिया। खबर प्रकाशित होने तक आईपी सिंह ने अपने फर्जी ट्वीट को हटाया नहीं था।
— Kanpur Dehat Police (@kanpurdehatpol) July 27, 2021
पिछले सप्ताह ही 18 जुलाई 2021 को ऑपइंडिया ने पूर्व सीएम अखिलेश यादव द्वारा साझा की गई फर्जी खबरों को खारिज करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया था कि कानपुर देहात पुलिस ने अखिलेश यादव ने के ट्वीट को खारिज करते हुए एक लिखित और वीडियो बयान जारी किया था।
पुलिस के मुताबिक भोगनीपुर थाना प्रभारी महेंद्र पटेल पंचायत चुनाव में एक प्रत्याशी को कथित रूप से धमकाने वाले शिवम यादव को गिरफ्तार करने दुर्गादासपुर गाँव गए थे। आरोपित की पत्नी और माँ उसे गिरफ्तारी से बचाने के लिए बीच में आ गईं।
आरोपित की पत्नी आरती यादव ने महेंद्र पटेल को कॉलर से जमीन पर खींच लिया। कानपुर देहात पुलिस ने भी उस घटना का पूरा वीडियो जारी किया था। घटना के उस लंबे वीडियो में महिला पुलिस अधिकारी को छेड़छाड़ के झूठे आरोप में फँसाने के लिए अपना ब्लाउज उतारने की कोशिश कर रही थी। एक शख्स को पुलिस वाले को उकसाते हुए भी देखा गया। वीडियो से यह स्पष्ट था कि पुलिस अधिकारी पीड़ित था। बावजूद इसके कथित तौर पर, हिंदुस्तान टाइम्स और एनडीटीवी जैसी मुख्यधारा की मीडिया एजेंसियों ने फर्जी खबरों को फैलाना जारी रखा।
बावजूद इसके कथित तौर पर, हिंदुस्तान टाइम्स और एनडीटीवी जैसी मुख्यधारा की मीडिया एजेंसियों ने फर्जी खबरों को फैलाना जारी रखा।