आईएएस अधिकारी से नेता बने शाह फैसल ने पॉलिटिक्स से तौबा कर ली है। जम्मू-कश्मीर में उनकी सियासी दुकान करीब डेढ़ साल ही चली। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वे दोबारा नौकरशाही का हिस्सा बन सकते हैं।
शाह फैसल प्रतिष्ठित परीक्षा पास करने वाले पहले कश्मीरी थे। 2019 की शुरुआत में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। इसके बाद मार्च 2019 में जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) का गठन किया। जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद भी उनके साथ थीं।
बीते साल अक्टूबर में शेहला ने भी राजनीति से किनारा करते हुए पार्टी छोड़ दी थी। अब फैसल ने भी JKPM के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।
JKPM के वरिष्ठ नेता फ़िरोज़ पीरज़ादा ने उनके इस्तीफे की पुष्टि की है। साथ ही बताया है कि अब पार्टी की सारी जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी गई है।
ख़बरों की मानें तो इस बात के आसार हैं कि शाह फैसल फिर से प्रशासन में शामिल हो सकते हैं। हालॉंकि शुरुआत से ही फैसल का रवैया सरकार विरोधी रहा है। ऐसे में दोबारा उनके प्रशासन का हिस्सा बनने की खबर कई सवाल खड़े करती है।
रविवार के दिन शाह फैसल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से JKPM का ज़िक्र हटा दिया है। फ़िरोज़ पीरज़ादा ने बताया, “हम नहीं जानते कि वह क्या करेंगे। वह इस बारे में अक्सर बात करते थे कि वह अमेरिका जाकर आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं। ख़बरें यह भी आ रही हैं कि वह प्रशासन में फिर से शामिल होंगे। इसलिए अभी हमारे पास इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है।”
साल 2018 में शाह फैसल पढ़ाई के लिए हार्वर्ड, अमेरिका में गए थे। वापस आने के बाद उन्होंने अपना राजनीतिक दल बनाने का फैसला लिया था। इसके बाद साल 2019 में फैसल ने जम्मू कश्मीर पीपल्स मूवमेंट JKPM नाम का राजनीतिक दल शुरू किया था। लेकिन राज्य से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद हालात पूरी तरह बदल गए। साल 2019 के अगस्त महीने में शाह फैसल को दिल्ली एयरपोर्ट से हिरासत में लेकर कश्मीर में नजरबंद किया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर 14 अगस्त को शाह फैसल दिल्ली में नहीं रोके गए होते तो वह इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में भारत के खिलाफ मामला दर्ज करा चुके होते। वह घाटी में अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने की तैयारी में थे।
इसके पहले रायटर्स के एक पत्रकार देवज्योत घोषाल ने शाह फैसल के बारे में हैरान कर देने वाला दावा किया था।देवज्योत के मुताबिक़ उन्हें शाह फैसल ने बताया था कि सैटेलाइट टीवी से लोगों को सरकार के निर्णय की ख़बर मिल चुकी थी। इस दौरान फैसल ने कहा था कि सुरक्षा कम होते ही कश्मीर भभक उठेगा, क्योंकि लोग ख़ुद को छला महसूस कर रहे हैं।
फैसल ने 2016 में भी इस्तीफा देने की धमकी भी दी थी। उन्होंने राष्ट्रीय मीडिया पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा था कि बुरहान वानी से उनकी उनकी तुलना कर उनके ख़िलाफ़ दुष्प्रचार किया जा रहा है। इसके अलावा इस साल जुलाई में उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का भी समर्थन किया था। इमरान ख़ान का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा था कि वो तो शांति की प्रक्रिया स्थापित करना चाहते हैं, लेकिन भारत में ही ऐसे लोग हैं जो ये होना नहीं देना चाहते। उन्होंने इमरान को बदलाव लाने वाला नेता भी बताया था।