Sunday, December 22, 2024
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‘अर्बन नक्सलवाद’ पर चिंतित हुए शरद पवार, कहा – सरकार के खिलाफ फैलाई जा रही है घृणा, तत्काल कार्रवाई की ज़रूरत

"इस तरह की (अर्बन नक्सलियों) कुछ ताकतें नागपुर, पुणे और मुंबई के अलावा सह्याद्रि पहाड़ियों वाले इलाकों में भी सक्रिय हैं। वो केरल तक फैले हुए हैं। इस पहलू को लेकर तत्काल कार्रवाई किए जाने की ज़रूरत है। ऐसा नहीं किया जाता है तो नई समस्याएँ खड़ी होंगी।"

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने भी अब अर्बन नक्सलियों के खतरे पर चिंता जाहिर की है। शरद पवार ने उसी गढ़चिरौली में ये बातें कहीं, जहाँ पिछले रविवार (14 नवंबर, 2021) सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मिलिंद तेलतुंबड़े सहित 27 नक्सली ढेर हो गए थे। NCP सुप्रीमो का कहना है कि नक्सलवाद सिर्फ महाराष्ट्र के पूर्वी हिस्सों के कुछ गाँवों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राज्य के कई बड़े शहरों में भी ‘अर्बन नक्सलवाद’ देखने को मिल रहा है।

पत्रकारों से से बात करते हुए महाराष्ट्र की सत्ताधारी ‘महा विकास अघाड़ी (MVA)’ गठबंधन के सूत्रधार शरद पवार ने गढ़चिरौली में नक्सली समस्या पर चिंता जाहिर की, जिसकी सीमाएँ पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से लगती हैं। उन्होंने कहा कि परिस्थितियाँ अब सुधर रही हैं, लेकिन अब एक नया खतरा चालू हो गया है। उन्होंने बताया कि कुछ जगहों पर सरकार के खिलाफ घृणा फैलाई जा रही है। साथ ही उन्होंने इसे ‘अर्बन नक्सलवाद’ के रूप में परिभाषित किया।

केंद्रीय कृषि मंत्री रहे 80 वर्षीय नेता ने कहा, “इस तरह की (अर्बन नक्सलियों) कुछ ताकतें नागपुर, पुणे और मुंबई के अलावा सह्याद्रि पहाड़ियों वाले इलाकों में भी सक्रिय हैं। वो केरल तक फैले हुए हैं। एक वर्ग ऐसा है जो जनता के मन में सरकार के विरोध में घृणा बिठाना चाहता है। इस पहलू को लेकर तत्काल कार्रवाई किए जाने की ज़रूरत है। ऐसा नहीं किया जाता है तो नई समस्याएँ खड़ी होंगी।” बता दें कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार में गृह मंत्रालय NCP के ही हिस्से है।

बता दें कि ‘अर्बन नक्सलियों’ को लेकर पहले भी बात हो चुकी है, जब भीमा-कोरेगाँव हिंसा में गिरफ्तार किए गए अधिकतर नक्सली लेखक, पादरी और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा दलित सुधारक का चोला ओढ़ कर घूम रहे थे। इस मामले में जिन 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया, वो सभी समाज की मुख्यधारा में हिंसक नक्सलियों का मुखौटा थे। इन्होंने ‘एल्गार परिषद’ के बैनर तले हिंसा भड़काई। कम्युनिस्ट पार्टियाँ भी नक्सलियों के समर्थन में बोलती रहती हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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