Sunday, December 22, 2024
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शरद पवार के ‘अजित हमारे नेता’ बयान से उद्धव की शिवसेना हैरान, कहा- वे भ्रम पैदा कर रहे हैं, हमारे लिए पार्टी छोड़ने वाले गद्दार

"कुछ लोगों ने हमारी पार्टी छोड़ दी और हमें धोखा दिया, हम उन्हें गद्दार कहते हैं। एनसीपी में भी यही हुआ। कुछ लोगों ने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल रहे। पार्टी छोड़ दी। यह भी विश्वासघात है। वे (एनसीपी) भले ही उन्हें गद्दार न मानें, लेकिन हम उन लोगों को गद्दार ही मानते हैं जिन्होंने सेना छोड़ी।"

शरद पवार ने राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) में फूट से इनकार करते हुए अजित पवार को अपना नेता बताया है। उनके इस बयान से उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) हैरान है। यूबीटी का कहना है कि इससे पार्टी कार्यकर्ता और महाराष्ट्र के लोगों के मन में भ्रम पैदा हो रहा है।

यूबीटी महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी और 26 विपक्षी दलों के गुट I.N.D.I.A. का हिस्सा है। शरद पवार भी इस समूह के प्रमुख नेता है। पवार ने अजित पवार की बगावत को ‘लोकतांत्रिक’ ऐसे समय में बताया है, जब 31 अगस्त से मुंबई में ही I.N.D.I.A. की बैठक होनी है।

शिवसेना (यूबीटी) के एमएलसी और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा है, “इसमें कोई शक नहीं है कि शरद पवार के ऐसे बयान कार्यकर्ताओं और लोगों के मन में भ्रम पैदा कर रहे हैं। अगर वह कह रहे हैं कि अजित पवार उनके नेता हैं, राकांपा में हैं, तो पक्के तौर पर उनके रुख को लेकर भी भ्रम है।”

दानवे ने आगे कहा, “कुछ लोगों ने हमारी पार्टी छोड़ दी और हमें धोखा दिया, हम उन्हें गद्दार कहते हैं। एनसीपी में भी यही हुआ। कुछ लोगों ने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल रहे। पार्टी छोड़ दी। यह भी विश्वासघात है। वे (एनसीपी) भले ही उन्हें गद्दार न मानें, लेकिन हम उन लोगों को गद्दार ही मानते हैं जिन्होंने सेना छोड़ी।”

साथ ही दानवे ने यह भी उम्मीद जताई कि इस बयान से अघाड़ी में कोई मतभेद या टकराव पैदा नहीं होगा और विपक्षी गठबंधन बरकरार रहेगा। उन्होंने कहा, “मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि मुद्दा (एनसीपी में विभाजन का) चुनाव आयोग के पास चला गया है और पार्टी के नाम, चुनाव चिह्न और संविधान की रक्षा के लिए ऐसे बयान दिए जा रहे हैं।”

शरद पवार ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था, “इसमें कोई मतभेद नहीं है कि अजित पवार हमारे नेता हैं। एनसीपी में कोई विभाजन नहीं है। किसी पार्टी में फूट कैसे पड़ती है? ऐसा तब होता है जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा समूह पार्टी से अलग हो जाता है, लेकिन आज एनसीपी में ऐसी कोई स्थिति नहीं है। हाँ, कुछ नेताओं ने अलग रुख अपनाया है। लेकिन इसे फूट नहीं कहा जा सकता। वे लोकतंत्र में ऐसा कर सकते हैं।”

शरद पवार अपनी सांसद बेटी सुप्रिया सुले के बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। सुप्रिया ने भी पार्टी में फूट से इनकार करते हुए कहा था कि अजित दादा हमारे नेता हैं। बता दें कि अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी नेताओं का एक धड़ा बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बन चुका है। 2 जुलाई 2023 को अजित पवार नेमहाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ एनसीपी के 8 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी। एनसीपी पर कब्जे की चाचा-भतीजे की लड़ाई चुनाव आयोग भी पहुँच चुकी है। दोनों गुटों ने अपने विधायकों के समर्थन के साथ पार्टी के चिन्ह ‘घड़ी’ और नाम ‘राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी’ पर अपना-अपना दावा ठोंक रखा है।

बावजूद इसके एक वर्ग का मानना है कि एनसीपी की लड़ाई फिक्स है। उनका दावा है कि शरद पवार की सहमति से ही अजित ने अलग रास्ता पकड़ा है। दोनों के बीच 12 अगस्त को पुणे में सीक्रेट मीटिंग की खबर मीडिया में आई थी।

इस मीटिंग के बाद एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार और उनकी सांसद बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनने का ऑफर दिया था। इस ऑफर का दावा कॉन्ग्रेस के एक पूर्व मुख्यमंत्री के हवाले से किया गया था। लेकिन रिपोर्ट में इस नेता की पहचान नहीं बताई गई थी।

रिपोर्ट में अनाम पूर्व मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया था, “अजीत ने अपने चाचा से कहा था कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री या नीति आयोग उपाध्यक्ष का पद दिया जाएगा। वहीं सुप्रिया सुले और जयंत पाटिल को क्रमशः केंद्र और राज्य सरकार में शामिल किया जाएगा।” पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया था कि शरद पवार ने भतीजे के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा है कि वह किसी भी तरह से भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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