कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने सोमवार (12 अक्टूबर 2020) को हाथरस मामले में चिंता जताई। ऐसा घटनाक्रम जिसमें मृतका को न्याय दिलाना प्राथमिकता नहीं रह गई है। इसके उलट यह घटना नेताओं के लिए अपने नंबर बढ़ाने का ज़रिया बन गई है।
My message (Hindi) to #SpeakUpForWomenSafety ! pic.twitter.com/QOzo2ei9Pl
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 12, 2020
शशि थरूर ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश की सरकार इस मामले में असल तथ्यों को दबाना चाह रही है। यह दावा खुद में हास्यास्पद है क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफ़नामा दायर किया था, जिससे हाथरस मामले की सीबीआई जाँच सम्भव हो और यह सब अदालत की निगरानी में हो।
शनिवार (10 अक्टूबर 2020) को सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज करके मामले की जाँच शुरू भी कर दी है। आरोपों के अनुसार 14 सितंबर को 4 लोगों ने दलित लड़की के साथ मारपीट की और गला दबाया था, कई गम्भीर चोटों की वजह से 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई थी। उसने 4 लोगों पर आरोप लगाया था कि चारों ने उसके साथ बलात्कार भी किया था।
इसके घटना के सामने आते ही देश के लोगों में काफी आक्रोश था और तमाम राजनेता भी मदद दिलाने के लिए आगे आए। जिसमें से अधिकाँश के लिए इस घटना में न्याय से ज्यादा महत्वपूर्ण उनका खुद का प्रचार और खुद की छवि को बेहतर करना था। फ़िलहाल मामला सीबीआई के हाथों में है और वह इसकी जाँच शुरू कर चुकी है।
उल्लेखनीय बात यह है कि कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर का यह ट्वीट उनका सालों पुराना एक ट्वीट वायरल होने के बाद आया। जिसमें उन्होंने जॉर्ज सोरोस से मिलने की बात का ज़िक्र किया था, वही जॉर्ज सोरोस जिनका रवैया भारत के लिए हमेशा आलोचनात्मक रहा है।
Met old friend George Soros, upbeat abt India and curious abt our neighbourhood. He’s far more than an investor: a concerned world citizen
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) May 26, 2009
26 मई साल 2009 को शशि थरूर ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे वह अपने ‘पुराने दोस्त’ से मिले। साल 2009 में यूपीए के चुनाव जीतने के बाद शशि थरूर ने 28 मई को बतौर विदेश मंत्री शपथ ली थी।
ऑपइंडिया ने पहले ही कॉन्ग्रेस पार्टी और अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के बीच सम्बंधों को लेकर कई ख़बरें प्रकाशित की हैं। इन सम्बंधों की जानकारी सामने आने के बाद पता चला था कि अपने एनजीओ नेटवर्क के ज़रिए उसका कॉन्ग्रेस पार्टी पर कैसा प्रभाव था।
यूपीए सरकार में तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन जॉर्ज सोरोस के साथ एक एनजीओ बोर्ड का हिस्सा बने थे। इसी तरह हर्ष मंदर जो कि सोनिया गाँधी द्वारा बनाए गए नेशनल एडवाइजरी काउंसिल का हिस्सा थे, वह जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन के तहत आने वाली ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव एडवाइजरी बोर्ड के चेयरमैन थे।
जॉर्ज सोरोस कथित तौर पर अमेरिकी मूल के फिलान्थ्रोपिस्ट (जन हितैषी कार्य करने वाले) हैं। इन्होंने राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादियों के विरुद्ध जंग छेड़ने का ऐलान किया था।