केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कुछ दिनों पहले ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को लेकर सरकार के रूख को स्पष्ट करने और आगे बढ़ाने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) का दौरा किया। अब उनके दौरा करने के कुछ ही दिन बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) सोमवार (अक्टूबर 7, 2019) को एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन कैंपस में ही कर रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में कई वामपंथी दलों के नेता और एक्टिविस्ट शामिल होंगे।
बताया जा रहा है कि इस विरोध प्रदर्शन में शेहला रशीद, अन्नी राजा, प्रदीपिका सारस्वत, फिल्मकार संजय काक और एजाज अहमद राथर शामिल होंगे। इस दौरान स्टूडेंट यूनियन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय किए जाने और लॉकडाउन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी। यूनिवर्सिटी में ’64 डेज ऑफ शटडाउन’ नाम से विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया है। शाम 4:30 बजे होने वाली विरोध सभा में शेहला रशीद शोरा, एनी राजा, प्रदीपिका सारस्वत, संजय काक और एजाज अहमद राथर को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है।
JNUSU उपाध्यक्ष साकेत मून ने इंडिया टुडे को बताया कि यह कार्यक्रम दो प्रमुख कारणों से आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ कार्यकर्ता और शोधकर्ताओं ने 15 दिन पहले घाटी का दौरा किया है। वे ग्रामीण और शहरी, दोनों इलाकों में गए। उन्हें वहाँ के असली हालात पता हैं। उन्होंने वहाँ की वास्तविक तस्वीरें भी ली हैं। फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के निरस्त हो जाने के बाद कश्मीर की वास्तविक तस्वीर दिखाने के लिए वीडियोज और रिपोर्ट्स पेश करेंगे।
साकेत मून ने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी ने कुछ दिनों पहले सरकार के प्रोपेगेंडा के अनुसार प्रतिबंधित क्षेत्रों की एक शांतिपूर्ण तस्वीर के लिए मंत्री जितेंद्र सिंह को आमंत्रित किया था। लेकिन हमने जिन वक्ता को बुलाया है, या तो वे कश्मीर से हैं या फिर घाटी से निकटता से जुड़े हैं। जिसकी वजह से इस बार कश्मीर पर अधिक स्पष्ट परिदृश्य सामने आएगा।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह जब 3 अक्टूबर को जेएनयू में कश्मीर से 370 के मुद्दे पर बोलने आए थे, तो इस दौरान लेफ्ट विंग और राइट विंग के स्टूडेंट्स के बीच विवाद हो गया था। जेएनयूएसयू ने संगोष्ठी पर एक बयान भी जारी किया था, जिसमें कहा गया था, “संघ परिवार के ज़ेनोफोबिक ट्रम्पलिज्म आज जेएनयू में पूर्ण प्रदर्शन पर है। यह विडंबना है कि जिस प्रशासन ने जेएनयू की शांति और स्थिरता को बर्बाद कर दिया है, वह एक मंत्री को आमंत्रित कर रहा है। एक ऐसी पार्टी जो देश की शांति और स्थिरता को नष्ट कर रही है।”
अब देखना यह है कि जब चंद विदेशी और प्रोपेगेंडाबाज मीडिया के अलावा अलगाववादी और वामपंथी नेताओं के द्वारा पेश की गई जम्मू-कश्मीर की फर्जी तस्वीर की असलियत बार-बार सामने आ रही है, जब धीरे-धीरे वहाँ जीवन सामान्य हो रहा है, तो ऐसे में JNU के वामपंथी किले से आज किस तरह का फर्जीवाड़ा फैलाया जाएगा! क्योंकि वहाँ कम ही सही लेकिन पर्यटक भी जा रहे हैं, डॉक्टर भी जा रहे हैं, जो जा रहे हैं, वो वहाँ के किस्से भी सुना रहे हैं, फोटो व वीडियो भेज कर इनके प्रोपेगेंडा को ध्वस्त भी कर रहे हैं।