पार्ट टाइम प्रदर्शनकारी, ऑड दिनों में मुस्लिम और ईवन दिनों में वामपंथन शेहला रशीद ने एक बार फिर कश्मीर पर खटराग छेड़ने की कोशिश की है। उन्हें ट्वीट कर दुनिया को याद दिलाया है कि ‘भारत’ ने कश्मीर में 4 महीनों से इंटरनेट बंद कर रखा है। उनके ट्वीट की भाषा ऐसी है जैसे ‘भारत’ उनका देश न हो, बावजूद इसके नागरिकों की सभी सुविधाएँ लेने में वे एक कदम आज तक पीछे नहीं रहीं। चाहे वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो या जेएनयू में मुफ़्त की रोटी। साथ ही बताया है कि 4 महीना ‘साल का एक चौथाई’ हिस्सा होता है।
गौरतलब है कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था। साथ ही, सुरक्षा कारणों से घाटी की इलेक्ट्रॉनिक संचार व्यवस्था को अस्थायी रूप से बंद कर दिया था।
Dear World, India has choked off Internet services to Kashmir for 4 months now. Four long months – quarter of a year. A hundred days and twenty, and counting!#KashmirGagged
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) December 4, 2019
शायद, शेहला रशीद की गणित भी उनकी राजनीतिक सोच की तरह ही ओछी है। इसलिए उन्हें ध्यान नहीं रहा कि 4 महीने साल का चौथाई नहीं, बल्कि एक-तिहाई हिस्सा होते हैं। इसके अलावा शेहला रशीद ने यह नहीं बताया कि बीच में सरकार ने लैंडलाइन टेलीफोन सेवाएँ, लैंडलाइन के ज़रिए आने वाला ब्रॉडबैंड इंटरनेट, पोस्टपेड मोबाइल आदि बहाल किए थे। लेकिन उसके बदले में उसी इंटरनेट के इस्तेमाल से कश्मीरियों ने घाटी में ऐसा आतंक मचाया, ऐसी हिंसा की कि सरकार को मजबूरन इंटरनेट सेवाएँ फिर से बंद कर देनी पड़ीं।
इस ट्वीट पर शेहला को आईना दिखाने वालों में अभिनेता और पूर्व भाजपा सांसद परेश रावल भी हैं। उन्होंने लिखा, “4 महीने के इंटरनेट की आपको पड़ी है? पंडितों के पास सालों से रहने के लिए घर नहीं है।”
Internet for 4 Months !!! Are you serious ? Pundits are without their HOMES for years !!! https://t.co/taJusdAU3w
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) December 4, 2019
रावल का इशारा उन कश्मीरी पंडितों की ओर था, जो कश्मीर में हिन्दुओं का आखिरी समुदाय थे। 1989-90 के बीच 5 से 7 लाख कश्मीरी पंडितों को मुस्लिमों ने हत्या, अपहरण, बलात्कार, मतांतरण की धमकी के इस्तेमाल से घाटी रातों रात छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। उस दिन से आज तक अधिसंख्य कश्मीरी पंडित दिल्ली, जम्मू, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, यूपी, उत्तराखण्ड समेत देश के अलग-अलग इलाकों में बेघर होकर रिफ्यूजी कैम्पों और कॉलोनियों में रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश के हालात का औसत देश के सबसे आर्थिक और सामजिक रूप से विपन्न और पिछड़े हुए समाजों से भी गया-गुजरा है।
उल्लेखनीय है कि कश्मीर पर अफवाह फैलाने में शेहला रशीद पुरानी उस्ताद रही हैं। अगस्त में ट्वीट कर उन्होंने जम्मू-कश्मीर की हालत बेहद खराब होने का दावा करते हुए सशस्त्र बलों पर कश्मीरियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। सेना ने इसे खारिज करते हुए आरोपों को बेबुनियाद बताया था। साथ ही कहा था कि असामाजिक तत्व और संगठन लोगों को भड़काने के लिए फर्जी खबरें फैला रहे हैं।