महाराष्ट्र की भाजपा गठबंधन वाली एकनाथ शिंदे सरकार ने शुक्रवार (21 अक्टूबर 2022) को बड़ा फैसला लेते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के फैसले को बदल दिया है। शिंदे सरकार ने आदेश जारी कर राज्य में जनरल कंसेंट बहाल कर दिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि अब महाराष्ट्र में किसी भी मामले की जाँच के लिए सीबीआई को राज्य सरकार की अनुमति लेनी की आवश्यकता नहीं होगी।
Maharashtra government has reinstated general consent to CBI for investigating cases in the state: Maharashtra Home department source
— ANI (@ANI) October 21, 2022
The state government’s general consent was earlier withdrawn by an order of the then MVA government.
दरअसल, 21 अक्टूबर 2020 को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार ने अक्टूबर 2020 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली थी। तत्कलीन सरकार ने इस सहमति को वापस लेते हुए आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार केंद्रीय जाँच एजेंसियों की मदद से राज्य सरकार को निशाना बना रही है।
बता दें, तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने गृह मंत्रालय के अनुरोध के बाद आदेश जारी कर कहा था कि केंद्रीय जाँच एजेंसियों को राज्य सरकार की अनुमति के बिना राज्य में किसी प्रकार की जाँच की अनुमति नहीं होगी। इस आदेश को जारी किए जाने के दौरान, अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृह मंत्री के थे। अब, उन पर एंटीलिया बम धमकी मामले से लेकर मनी लांड्रिंग के अलग-अलग मामले चल रहे हैं।
गौरतलब है कि देश के 7 गैर-बीजेपी शासित राज्यों पंजाब, पश्चिम बंगाल, झारखंड, केरल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और मेघालय सीबीआई को दी हुई आम सहमति वापस ले चुके हैं। जिसका मतलब यह है कि केंद्रीय जाँच एजेंसियों को इन राज्यों में जाँच करने के लिए या तो राज्य सरकार से विशेष अनुमति लेनी होगी या फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा।
सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के अंतर्गत कार्य करती है। विभिन्न राज्यों ने इसी अधिनियम के चलते आम सहमति वापस ली है। दरअसल, आम सहमति दो प्रकार की होती है। पहली स्पेसिफिक और दूसरी जनरल। राज्य सरकार राज्य में कार्रवाई के लिए सीबीआई को जनरल कंसेंट देती है। इसके जरिए सीबीआई किसी भी मामले में जाँच के लिए बगैर किसी अनुमति के संबंधित मामलों में छापेमारी या गिरफ्तारी कर सकती है।