अभी तक ढाई साल सीएम की कुर्सी से कम किसी भी कीमत पर नहीं तैयार हो रही शिव सेना ने रुख बदल लिया है। एक हफ्ते (24 अक्टूबर, 2019 से आज, 30 अक्टूबर तक) तक मुख्यमंत्री पद के लिए खींचा-तानी मचाने और भाजपा की बजाय कॉन्ग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के साथ सरकार बनाने की धमकी के बाद यू टर्न लेते हुए पार्टी ने इशारा किया है कि अब वह सीएम की कुर्सी को लेकर और अड़ने को इच्छुक नहीं है। मीडिया से बात करते हुए शिव सेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ अपनी युति की कद्र करती है।
बकौल राउत, “हमें पता है कि गठबंधन में बने रहना ही बेहतर है और यही राज्य के भी हित में है। जो हम चाहते हैं, वह यह कि हमें सम्मान दिया जाए।” लेकिन इसी के साथ राउत ने यह भी जोड़ा कि पार्टी सरकार बनाने के लिए भी किसी तरह की उत्सुकता नहीं दिखाना चाहती। उन्होंने कहा, “हमें इसे ठंडे दिमाग से करना होगा।”
Shiv Sena spokesperson Sanjay Raut has said that the party valued its partnership with the BJPhttps://t.co/L2vDKmN4Ok
— India Today (@IndiaToday) October 30, 2019
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कल पहले शिव सेना विधायकों की बैठक होगी और उसके बाद शिव सेना और भाजपा के नेता बैठ कर सरकार की रूप रेखा तय करेंगे।
कल ही तक शिव सेना के बोल भाजपा के साथ एनडीए युति को सहेजने के आज के सुर से बिलकुल उलट थे। शिव सेना न केवल 50-50 फॉर्मूला के अंतर्गत ढाई साल सीएम की कुर्सी और मंत्री परिषद में बड़ी हिस्सेदारी से कम के लिए तैयार नहीं थी, बल्कि भाजपा के हरियाणा में जेजेपी के साथ गठजोड़ पर भी तंज़ कस रही थी। संजय राउत ने ही ताना मारते हुए कहा था कि जेजेपी के उलट शिव सेना में किसी के पिताजी जेल में नहीं पड़े, जिन्हें निकालने के लिए सरकार का हिस्सा बनने की जल्दी हो।
“No Dushyant Chautala here whose father is in jail”: Shiv Sena taunts BJP https://t.co/BT6n9Tw4zK pic.twitter.com/GTg1ZmUW7N
— NDTV (@ndtv) October 29, 2019
इसके पहले शिव सेना के मुखपत्र सामना में भी भाजपा पर जम कर आग उगली गई थी। सामना के सम्पादकीय के मुताबिक यह जनादेश कोई “महा जनादेश” नहीं था। यह उनके लिए सबक है जो “सत्ता की मद में चूर” हैं। सामना में शिव सेना ने यह भी कहा था कि इस जनादेश ने वह ग़लतफ़हमी भी दूर कर दी कि चुनाव जीतने का रास्ता दल-बदल की इंजीनियरिंग करना और विपक्षी पार्टियों को तोड़ना है। यही नहीं, तस्वीर पूरी तरह साफ़ होने के पहले ही आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने के नारे भी शिव सैनिक लगाने लगे थे।
एक समय तो फडणवीस ने भी शिव सेना पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए पार्टी छोड़ कर गए नाराज़ बागियों को मनाने की कवायद शुरू कर दी थी। हालाँकि मोदी ने उन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा कर चुनाव में जाने और फिर जीत कर आने वाले पहले मराठी सीएम होने की बधाई देते हुए एक तरह से ठाकरे को बता दिया था कि वे झुकेंगे नहीं। इसके अलावा फडणवीस को भाजपा ने दोपहर में न केवल अपने विधायक दल का नेता चुन लिया था, बल्कि उनके नेतृत्व में और शिव सेना के साथ सरकार बनाने का ऐलान भी कर दिया था।