महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दशहरे के मौके पर भाजपा पर निशाना साधने के लिए वामपंथी और कट्टरपंथियों द्वारा उन्हीं की शैली में हिन्दू धर्म को अपमानित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘गोमूत्र और गोबर’ जैसे शब्दों को अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल किया। उद्धव ठाकरे के इस बयान की वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगी। ट्विटर यूजर्स इस वीडियो को देखते हुए अपनी प्रतिक्रिया में कह रहे हैं कि तथाकथित रामभक्त भाजपा पर निशाना साधने के लिए गोमूत्र का मजाक बना रहे हैं।
वीडियो में उद्धव ठाकरे कहते सुने जा सकते हैं, “जो लोग हमारी सरकार पर सवाल उठाते हैं, उनके मुँह गोमूत्र और गोबर से भरे हुए हैं। वह हमारे ऊपर गोबर फेंकने की कोशिश कर रहे हैं, वो भी इस आशा से कि वह हमें चिपक जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, हम साफ हैं। यह वो लोग हैं जिनके खुद के कपड़े गोमूत्र व गोबर से लिपटे हैं।”
So called Ram Bhakt Uddhav Thackeray taking Gaumutra Jibes at BJP
— BALA (@erbmjha) October 25, 2020
Now wear scull cap, remove your tika & change your saffron flag to Green @OfficeofUT 👌
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गौरतलब है कि पौराणिक आयुर्वेद उपचार में गोमूत्र एक जरूरी हिस्सा होता था और आज के समय में भी इसे हिंदुओं में पवित्र माना जाता है। गौमूत्र को लेकर अक्सर वामपंथी व कट्टरपंथी लोग हिंदुओं को निशाना बनाते रहे हैं। ऐसे में शिवसेना नेता द्वारा की गई टिप्पणी साफ दर्शाती है कि उनकी मंशा ‘गोमूत्र’ को लेकर क्या है।
पिछले साल जब पुलवामा का हमला हुआ था और जैश के आतंकी आदिल डार ने अपनी वीडियो जारी की थी, तब उसने भी हिंदुओं को गोमूत्र पीने वाला बताया था। साथ ही कहा था कि वह अल्लाह के नाम पर ‘गाय का पेशाब पीने वालों को’ सबक सिखाना चाहता है।
शिवसेना के बदलते रूप
समय के साथ सबसे दिलचस्प चीज यह देखने वाली है कि शिवसेना नेता व खुद को रामभक्त कहने वाले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट रूप से अपने संबोधन में ‘गोमूत्र’ शब्द का इस्तेमाल करके हिंदूफोबिक टिप्पणी की है। हालाँकि, यही शिवसेना कुछ समय पहले तक कट्टर हिंदुत्ववादी विचारधारा के कारण पहचानी जाती थी। मगर, बाला साहेब ठाकरे की छवि का इस्तेमाल करके पहले शिवसेना ने विधानसभा का चुनाव लड़ा और उसके बाद सीएम की कुर्सी के लिए जाकर देश की ‘सेकुलर’ पार्टियों से गठबंधन कर लिया।
साल 2019 में शिवसेना का यह दोहरा रवैया सीएए के दौरान भी देखने को मिला था, जिसे लोकसभा में तो पार्टी का समर्थन मिला, लेकिन राज्यसभा में वह इसका विरोध करने लगे। महाविकास आघाड़ी सरकार ने राज्य में 10% आरक्षण को भी खत्म कर दिया है जिसे मोदी सरकार पिछले साल गरीबों के लिए लेकर आई थी ताकि शिक्षा व सरकारी क्षेत्रों में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को फायदा मिल सके।