कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा जो मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री थे, उन्होंने शनिवार (9 फ़रवरी) को राहुल गाँधी को लेकर कहा कि उनके लगातार हस्तक्षेप के कारण न सिर्फ़ उन्होंने विदेश मंत्री का पद छोड़ा बल्कि कॉन्ग्रेस पार्टी से भी नाता तोड़ लिया था। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी के अत्यधिक हस्तक्षेप के चलते वो विदेश मंत्री के पद पर काम करने में ख़ुद को असमर्थ महसूस कर रहे थे।
इसके अलावा उन्होंने राहुल की राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल उठाते हुए कहा कि 10 साल पहले राहुल गाँधी एक सांसद थे और उन्होंने पार्टी का कोई पद नहीं सँभाला, लेकिन सभी मामलों में वे बिना वजह ही हस्तक्षेप करने लगते थे। यह हस्तक्षेप इतना बढ़ गया था कि कृष्णा ने पद छोड़ना ही उचित समझा। हालाँकि जब प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह थे, तब कष्णा ने कई मामलों को राहुल के संज्ञान में लाए बिना ही उन पर कार्रवाई की जिसके परिणामस्वरूप 2जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ और कोयला घोटाले सामने आए थे। वहीं गठबंधन दलों पर उन्होंने कहा कि इस पर कॉन्ग्रेस का कोई नियंत्रण नहीं था।
एसएम कृष्णा ने कहा कि साल 2009 से 2014 तक जब वे यूपीए सरकार में सत्ता में था, तब वे ख़ुद भी सभी अच्छी और बुरी चीजों के लिए समान रूप से जिम्मेदार थे। साढ़े तीन साल तक कुशलतापूर्वक सेवा देने के बावजूद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था, इसकी वजह राहुल का वो आदेश था जिसके मुताबिक़ जो 80 साल के हो गए हों उन्हें सत्ता में नही रहना चाहिए।
बीजेपी में शामिल होने के बाद, कृष्णा ने काफी हद तक सक्रिय राजनीति से ख़ुद को दूर रखा, लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान पूर्व सीएम सिद्धारमैया के ख़िलाफ़ हो रहे अभियानों में उन्होंने भाग लिया था।
लोकसभा चुनाव नज़दीक आने के साथ, कृष्णा ने अपने गृह नगर मद्दुर में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए दोबारा आवेदन किया, जहाँ से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कृष्णा ने उनकी तुलना सरदार वल्लभभाई पटेल से की और कहा कि भारत मोदी शासन के तहत प्रगति की ओर अग्रसर है।