पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 40 सीटें है। बीते आम चुनाव में इनमें से केवल 2 पर कॉन्ग्रेस को जीत मिली। 38 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। दशकों तक राज्य की सत्ता पर काबिज रही सीपीआई (एम) का तो सूपड़ा ही साफ हो गया था। 39 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और सभी जगह जमानत जब्त हुई।
ऐसे में सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस और राज्य में तेजी से उभरती भाजपा को रोकने के लिए कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी ने नया प्लान बनाया है। इस योजना के तहत डूबती कॉन्ग्रेस का राज्य में विलुप्त होने के कगार पर पहुॅंच चुके वाम दल सहारा बनेंगे। सोनिया ने राज्य के पार्टी नेताओं से वाम दलों के साथ मिलकर अभियान चलाने की रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
ख़बर के अनुसार, पश्चिम बंगाल कॉन्ग्रेस के नेता अब्दुल मन्नान ने राज्य की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए गुरुवार (10 अक्टूबर) को दो बार सोनिया गाँधी से मुलाक़ात की थी। मन्नान पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। बैठक के बाद, मन्नान ने मीडिया को बताया कि सोनिया ने पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के लिए अपनी हामी भर दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि कॉन्ग्रेस पार्टी को सत्तारूढ़ तृणमूल कॉन्ग्रेस और उभरती हुई भाजपा से हारने का डर सता रहा है।
मन्नान ने कहा,
“हमने सोनिया गाँधी जी के साथ राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की और उन्होंने राज्य में प्रस्तावित एलएफ-कॉन्ग्रेस गठबंधन के बारे में जनता की राय बनाने के लिए हमें वाम मोर्चा के साथ संयुक्त आंदोलन करने के लिए कहा है। उन्होंने हमें राज्य में तृणमूल कॉन्ग्रेस और भाजपा के ख़िलाफ़ वाम मोर्चे के साथ संयुक्त आंदोलन करने के लिए कहा है।”
मन्नान के अनुसार सोनिया का मानना है कि यदि 2016 विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में कॉन्ग्रेस और वाम मोर्चे का गठबंधन बना रहता तो राज्य के राजनीतिक हालात अलग होते और भाजपा प्रदेश में कभी उभर नहीं पाती।
यहाँ इस बात पर ग़ौर किया जाना चाहिए कि सोनिया गाँधी ने यह क़दम ऐसे समय में उठाया है जब राज्य में जल्द ही तीन अलग-अलग ज़िलों में विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। इनमें कालीगंज, खड़गपुर और करीमगंज शामिल हैं। कालीगंज और खड़गपुर सीटों पर कॉन्ग्रेस उम्मीदवार उतारेगी, वहीं माकपा करीमपुर सीट पर चुनाव लड़ेगी। 2016 के विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस और माकपा साथ आए थे, लेकिन क्रमशः 44 और 26 सीटें ही हासिल कर पाए थे। टीएमसी के पास 294 में से 211 सीटों का स्पष्ट बहुमत था।