कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार के वित्तीय सलाहकार ने गुरुवार (11 जुलाई 2024) को कहा कि गारंटी योजनाओं के कारण राज्य में विकास कार्यों के लिए धन नहीं है। इससे पहले कॉन्ग्रेस सरकार ने अपनी चुनावी गारंटियों के तहत दलित एवं जनजातीय विकास के लिए दिए गए फंड को वापस ले लिया था। इसके बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने सरकार को तलब किया था।
दरअसल, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के वित्तीय सलाहकार बसवराज रायारेड्डी यलबुर्गा तालुका के मंगलुरु गाँव में एक झील पर काम का शुभारंभ करने के बाद किसानों की बैठक में भाग ले रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा कि गारंटी योजनाओं ने राज्य के विकास को प्रभावित किया है। इसके कारण राज्य के विकास कार्यों के लिए धन नहीं बचा है।
रायारेड्डी ने कहा, “कई विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्य करवाने के लिए फंड की माँग कर रहे हैं, लेकिन सरकार के पास पैसा नहीं है। हम गारंटी योजनाओं पर करीब 65,000 करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। चूँकि मैं वित्तीय सलाहकार हूँ, इसलिए मैं किसी तरह अनुदान प्राप्त करने का प्रबंध कर रहा हूँ। गारंटी सरकार पर बोझ बन गई है।”
बसवराज रायारेड्डी ने आगे कहा, “लोग विकास चाहते हैं, लेकिन मेरा विश्वास करें, बिल्कुल भी पैसा नहीं है। मैं वित्तीय सलाहकार हूँ, इसलिए मैं यहाँ झील विकास परियोजना के लिए 970 करोड़ रुपए का धन जुटाने में कामयाब रहा। हालाँकि, इस परियोजना के लिए कोई जमीन देने के लिए आगे नहीं आ रहा है।” उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री के करीब हैं, इसलिए वित्तीय समस्याओं से परिचित हैं।
इस बीच कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि गारंटी योजनाओं के कारण सरकार को किसी तरह की वित्तीय समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है। उन्होंनेे कहा, “गारंटी योजनाएँ किसी भी संसाधन को खत्म नहीं कर रही हैं। हम उन्हें जारी रखेंगे। हमने वोट के लिए गारंटी शुरू नहीं की है। यह उन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए है, जो मूल्य वृद्धि से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।”
ST-SC के विकास का पैसा भी गारंटियों योजनाओं में लगाया
बताते चलें कि कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार को दलित एवं जनजातीय समुदाय के विकास के लिए जारी फंड को वापस लेने के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने तलब किया था। कॉन्ग्रेस सरकार ने अपनी चुनावी गारंटियाँ पूरी करने के लिए दलित और जनजातीयों के विकास के लिए जारी किया गया फंड वापस ले लिया था।
NCSC के अध्यक्ष किशोर मकवाना ने कहा था, “कर्नाटक सरकार ने अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए जारी किया गया फंड अन्य कार्य के लिए दुरुपयोग किया। यह अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए उठाए गए कदम के विरुद्ध है। इसका NCSC ने संज्ञान लिया है और इस मामले में कर्नाटक सरकार को नोटिस भेजा है। यदि कर्नाटक सरकार इस मामले में जवाब नहीं देती तो कार्रवाई की जाएगी।”
दरअसल, कर्नाटक सरकार ने राज्य के दलित-जनजातीयों को दिए गए ₹14,730 करोड़ फंड को अब अपनी गारंटियों में खर्च करेगी। सिद्धारमैया सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹39,121 करोड़ की धनराशि दलित और जनजातीयों के फंड के रूप में जारी किया था। कर्नाटक में नियमों के अनुसार ऐसा करना आवश्यक है, लेकिन कॉन्ग्रेस सरकार ने इसमें से लगभग एक तिहाई फंड काट दिया।
इससे पहले जुलाई 2023 में राज्य के SC-ST समुदाय के कल्याण के लिए खर्च किए जाने वाले ₹11,000 करोड़ को भी इन गारंटियों के लिए उपयोग करने का फैसला लिया था। इसकी काफी आलोचना हुई थी। कॉन्ग्रेस सरकार ने यह कहकर अपना बचाव करने का प्रयास किया था कि यह दूसरी योजनाओं को दिया जाने वाला यह पैसा भी गरीबों के विकास में लगेगा।
राज्य में जीत को कॉन्ग्रेस ने किए थे ‘रेवड़ी’ वादे
साल 2023 में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कॉन्ग्रेस ने पाँच गारंटी दी थी। इन्हें ‘रेवड़ी’ कहा गया था। कॉन्ग्रेस ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह हर घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देगी। इसे गृह ज्योति योजना का नाम दिया गया था। इसके अलावा गृह लक्ष्मी नाम की योजना के अंतर्गत कॉन्ग्रेस ने वादा किया था कि वह राज्य की महिलाओं को ₹2000 प्रतिमाह देगी।
कॉन्ग्रेस ने कर्नाटक की आर्थिक स्थिति और मुफ्त सुविधाओं के वादों से अर्थव्यस्था पर पड़ने वाले बोझ को दरकिनार करते हुए हर परिवार को 10 किलो अनाज देने का भी वादा किया था। इसे अन्न भाग्य योजना का नाम दिया गया था। कॉन्ग्रेस ने राज्य में महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा का भी वादा किया था। इसके अलावा राज्य के बेरोजगार युवाओं को भी ₹1500 देने की बात कही गई थी।
इनमें से कुछ योजनाएँ पूरी तरह से लागू कर दी गई हैं तो कुछ को आंशिक रूप से लागू किया गया है। कॉन्ग्रेस के इन ‘रेवड़ी’ वादों का असर अब राज्य के खजाने पर दिख रहा है और वह राजस्व बढ़ाने के लिए नई-नई जुगत भिड़ा रही है। वह राज्य की आम जनता को अब नए कर और बढ़े करों से लादना चाह रही है। साथ ही वह कमाई के नए जुगाड़ भी लगा रही है।