जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर जारी गहमागहमी के बीच भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस विश्वविद्यालय को लेकर अपना प्लान सामने रखा है। बकौल स्वामी जेएनयू कैंपस में पुलिस स्टेशन बनना चाहिए। बीएसएसएफ और सीआरपीएफ जवाने की तैनाती होनी चाहिए। यूनिवर्सिटी को दो साल के लिए बंद कर जरूरी ‘सफाई अभियान’ चलाया जाए। साथ ही कहा है कि इसके बाद जब दोबारा जेएनयू को खोला जाए तो उसका नाम बदलकर सुभाष चंद्र बोस विश्वविद्यालय कर देना चाहिए।
स्वामी ने अहमदाबाद के थलतेज में एक निजी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से कहा कि सरकार को जेएनयू को लेकर बड़ा कदम उठाना चाहिए। इसकी सफाई के लिए इसे कम से कम दो साल के लिए बंद कर देना चाहिए और जब यह वापस से शुरू हो तो इसका नाम बदल कर सुभाष चंद्र बोस विश्वविद्यालय कर दिया जाना चाहिए।
स्वामी ने कॉन्ग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस ने जान-बूझकर जेएनयू में अयोग्य और अशिक्षित लोगों को प्रवेश दिया। इससे वहाँ के हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेएनयू के हॉस्टल का किराया 10 रुपए है और वहाँ 35 से 40 साल तक के लोग छात्र हैं और हर साल फेल होते रहते हैं। इन लोगों का एक ही उद्देश्य होता है कि जेएनयू के हॉस्टल को रहने के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करें और वो पूरे देश में घूम-घूम कर समाजवादी कार्यक्रमों में हिस्सा लें।
उन्होंने कहा कि बंद करने से पहले अच्छे छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय और आंबेडकर विश्वविद्यालय में स्थानांतरित कर देना चाहिए एवं हुल्लड़बाजों को बाहर कर देना चाहिए। स्वामी ने कहा कि नेहरू के नाम पर पहले से ही कई संस्थान है, इसलिए जेएनयू का नाम बदल दिया जाना चाहिए। स्वामी ने दावा किया कि जेएनयू तथा अन्यत्र हो रहे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के हिंसक विरोध के पीछे आतंकी और विदेशी तत्वों का भी हाथ है।
साथ ही स्वामी ने जेएनयू में पुलिस स्टेशन बनाए जाने की माँग की है। उन्होंने कहा कि जेएनयू में सिर्फ दिल्ली पुलिस से काम नहीं चलेगा। वहाँ पर बीएसएफ और सीआरपीएफ की तैनाती जाए। इसके बाद ही वहाँ के हालात सामान्य हो सकेंगे। स्वामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “सुरक्षा का मतलब हरेक कैंपस के अंदर पुलिस स्टेशन बनाया जाना है। आज आपको पुलिस बुलाना पड़ता है जिसमें काफी समय लग जाता है। देश में विश्वविद्यालयों के अंदर पुलिस स्टेशन का होना बहुत जरूरी है। यह केवल जेएनयू के लिए नहीं है। लेकिन हमें इसकी शुरुआत जेएनयू से करनी चाहिए।”
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