सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को आदेश दिया है कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड से सम्बंधित कोई भी जानकारी अपने पास ना रखे। सुप्रीम कोर्ट ने बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि बैंक के चेयरमैन जानकारी सार्वजनिक करने के सम्बन्ध में एक हलफनामा भी दायर करें।
सुप्रीम कोर्ट की CJI चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स के विषय में दिया गया निर्णय था कि सभी जानकारियाँ सार्वजनिक की जाएँ, इस मामले में स्टेट बैंक को जानकारी चुन चुन कर बाहर नहीं निकालनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बैंक इस बात का इन्तजार ना करे कि हम उसे कोई जानकारी सार्वजनिक करने को कहें।
Electoral Bonds: The Supreme Court says in the judgment, it had asked the SBI to disclose all details and that includes the Electoral Bond numbers as well.
— ANI (@ANI) March 18, 2024
SBI should not be selective in disclosing the details, says SC. pic.twitter.com/WlG41lMYmG
सुप्रीम कोर्ट के सामने स्टेट बैंक की तरफ से पेश हो रहे वकील हरीश साल्वे ने कहा कि यदि इलेक्टोरल बॉन्ड के नम्बर दिए जाने हैं तो हम वह भी दे देंगे। बैंक ने इस मामले में कहा कि उनके पास जो भी जानकारी इस सम्बन्ध में है, वह उसे सार्वजनिक कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए बैंक को 21 मार्च तक का समय दिया है।
वकील हरीश साल्वे ने बताया कि बॉन्ड पर पड़ा हुआ अल्फान्यूमेरिक नम्बर सिर्फ बॉन्ड के असली होने की पुष्टि करता है, इससे यह नहीं पता चलेगा कि बॉन्ड किस्से खरीदा गया या किसे दिया गया। फर्जी बॉन्ड ना बेचे जाएँ, इसके लिए यह नम्बर इन पर डाला गया था।
इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट का ध्यान इस फैसले को लेकर चल रहे बवाल पर डलवाया। उन्होंने कहा कि कोर्ट के बाहर इस निर्णय पर किए जा रहे दावों को लेकर कहा कि इस जानकारी के आधार पर कुछ भी कहा जा रहा है।
मेहता ने यह भी कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड को चुनावी फंडिंग में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लाया गया था। इस बारे में फैलाई जा रही भ्रामक जानकारी को लेकर उन्होंने कोर्ट से निर्देश जारी करने को कहे। हालाँकि, कोर्ट ने इस सम्बन्ध में कोई निर्देश नहीं दिए।
गौरतलब है कि कोर्ट ने 15 फरवरी को एक आदेश देकर स्टेट बैंक से उन सभी इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा था को कि किसी के द्वारा खरीद कर पार्टियों को दिए गए थे। इसको लेकर कुछ जानकारी पहले स्टेट बैंक ने साझा की थी जबकि बाकी जानकारी बाद में सामने आई थी।
इस बार कोर्ट के आदेशानुसार वह जानकारी सार्वजनिक करनी होगी जो कि यह बताएगी कि किस चंदा देने वाले ने कसी पार्टी को कितना पैसा कब दिया। यह जानकारी 21 मार्च, 2024 को शाम पाँच बजे तक स्टेट बैंक को चुनाव आयोग को देनी होगी। चुनाव आयोग इसे प्रकाशित करेगा।