मंगलवार (जनवरी 15, 2018) को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में पश्चिम बंगाल में भाजपा की रथयात्रा को अनुमति देने से मना कर दिया है। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीजेपी की स्टेट यूनिट राजनीतिक बैठकें और रैलियाँ कर सकती है।
SC refused to give a go ahead for the BJP’s Yatra in West Bengal. The Apex Court, however, said that the BJP state unit can conduct meetings and rallies. SC said, if BJP comes out with a revised plan of fresh Yatra, that may be considered afresh later. pic.twitter.com/TbvYiRQply
— ANI (@ANI) January 15, 2019
क्या था मामला?
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने सौहार्द्र बिगड़ने की दलील देकर बीजेपी की रथयात्रा को मंजूरी देने से मना कर दिया था। बाद में बीजेपी ने इस फ़ैसले को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रथयात्रा के लिए भाजपा को मंजूरी दे दी थी, लेकिन डिविजन बेंच ने रथयात्रा को मंजूरी देने से मना कर दिया था। इसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
SC ने कहा चिंता बेवजह नहीं
मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार की तरफ़ से रथयात्रा पर प्रतिबंध के फैसले पर किसी तरह की दखल देने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रथयात्रा को लेकर ममता बनर्जी सरकार और राज्य पुलिस की चिंता बेवजह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बीजेपी रथयात्रा को लेकर नई योजना लेकर आती है, तो उस पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है।
चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में बेंच ने भाजपा से रथयात्रा का नया शेड्यूल पश्चिम बंगाल सरकार को देने का निर्देश दिया। बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार को ध्यान में रखते हुए रथयात्रा के लिए बीजेपी के आवेदन पर निर्णय करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार भाजपा के नए यात्रा शेड्यूल पर संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखकर फ़ैसला ले, जिससे कि इनके बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार प्रभावित ना हों।
2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा पश्चिम बंगाल के 42 संसदीय क्षेत्रों से यह यात्रा निकालना चाहती है। अपनी याचिका में भाजपा ने कहा कि शांतिपूर्ण यात्रा के आयोजन के उनके मौलिक अधिकार की अवहेलना नहीं की जा सकती। पार्टी ने राज्य के 3 ज़िले से यह यात्रा शुरू करने की योजना बनाई थी।
राज्य सरकार की गतिविधियों को लेकर भाजपा द्वारा दायर याचिकाओं में कहा गया था कि भाजपा पश्चिम बंगाल में 2014 से ही ऐसे राजनीतिक प्रतिशोध का सामना कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस की ओर से पेश हुए वकील आनंद ग्रोवर ने कहा था कि बीजेपी की रथ यात्रा की व्यापकता को लेकर भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की ज़रूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी कुछ ज़िलों में सभाएँ आयोजित कराना चाहती है तो इसकी अनुमति दी जा सकती है, लेकिन इतने व्यापक स्तर की रैलियों को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।