केरल की वामपंथी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने कहा है कि केरल की खराब आर्थिक हालत के लिए उनका खुद का कुप्रबन्धन जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट ने अधिक उधार लेने सम्बन्धी केरल सरकार की याचिका को भी खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 अप्रैल, 2024) को सुनवाई करते हुए केरल सरकार को लताड़ लगाई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने केरल सरकार द्वारा लगाई गई अंतरिम याचिका पर उसे राहत देने से मना किया। केरल सरकार ने याचिका लगाई थी कि उसे अधिक उधार लेने की अनुमति केंद्र सरकार द्वारा दी जाए। अभी केंद्र सरकार ने इस पर रोक लगा रखी है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केरल सरकार के याचिका लगाने के बाद से उसे ₹13,608 करोड़ की सहायता मिल चुकी है।
कोर्ट ने इस दौरान कहा कि केरल की आर्थिक स्थिति उसकी सरकारों के कुप्रबन्धन के कारण बिगड़ी है। ऐसे में हम केंद्र सरकार को आपको और अधिक पैसे उधार देने को नहीं कह सकते। कोर्ट ने कहा कि यदि केरल को अधिक उधार लेने की अनुमति दी गई तो और राज्य भी पहले अपनी आर्थिक स्थिति खराब करेंगे और बाद में अधिक लाभ माँगेंगे। कोर्ट ने यह निर्णय देते हुए केंद्र द्वारा केरल सरकार के उधार लेने पर लगाई रोक को हटाने से इंकार की माँग करने वाली अंतरिम राहत की याचिका को ख़ारिज कर दिया।
कोर्ट ने इसी सुनवाई में केरल सरकार की एक और याचिका को संविधान पीठ को सौंपा। केरल सरकार ने यह याचिका केंद्र सरकार की शक्तियों को लेकर लगाई है। केरल सरकार की यह याचिका केंद्र सरकार द्वारा राज्यों की उधारी पर रोक जैसे मुद्दों को लेकर लगाई गई है। जस्टिस सूर्यकांत वाली बेंच ने इस मामले को संविधान पीठ के सामने रखते हुए इसके अंतर्गत 6 प्रश्नों के परीक्षण की बात कही है।
गौरतलब है कि अपनी खराब आर्थिक हालत का ठीकरा केरल की वामपंथी सरकार केंद्र सरकार पर फोडती रही है। केरल सरकार का कहना है कि उसकी कर्ज लेने की सीमा को केंद्र सरकार ने कम कर दिया है जिससे उसे रोजाना के खर्चों में तक दिक्कत आ रही है। उधर केंद्र सरकार का कहना है कि केरल कि सरकार ने बजट के बाहर भी बड़ी उधारियाँ ली जिसके कारण यह स्थिति आई है।
केरल सरकार की खराब आर्थिक हालत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था केंद्र सरकार उसे एक बार में ₹5,000 करोड़ का पैकेज दे। हालाँकि, केरल सरकार ने इसे नाकाफी बताते हुए वापस याचिका लगाई थी और कहा था कि उसे कम से कम ₹10,000 करोड़ चाहिए होंगे।
लोकसभा चुनावों के बीच सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय केरल की वामपंथी सरकार के लिए काफी कठिन साबित होने वाला है। सरकार के कई विभागों के कर्मचारियों की पेंशन और फंड सरकार के पास अटकी हुई हैं। वह इसमें फेल हो रही है। इस निर्णय के बाद केरल को अतिरिक्त पैसा भी नहीं मिलेगा। ऐसे में सरकार की किरकिरी हो रही है।