हिंदू देवी-देवता को लेकर सवाल उठाने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। एमपी-एमएलए कोर्ट ने लखनऊ की वजीरगंज थाना पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। स्वामी प्रसाद पर हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने का आरोप है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विशेष अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव मौर्या के खिलाफ विवादित बयान की जाँच के आदेश दिए हैं। मौर्या के खिलाफ मामला दर्ज करने का आग्रह रागिनी रस्तोगी ने किया था। रागिनी का आरोप है कि पिछले साल 15 नवंबर को अखबारों में छपे उनके एक बयान से करोड़ों हिंदुओं की भावनाएँ आहत हुई हैं।
शिकायत के अनुसार, स्वामी प्रसाद मौर्या ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा था कि जब विभिन्न धर्मों के लोग दो हाथ और दो पैरों के साथ पैदा हुए थे, तो एक हिंदू देवी चार हाथों के साथ कैसे पैदा हो सकती है। रागिनी ने कहा कि मौर्या ने कई मौकों पर इस तरह के बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाई है।
बता दें कि अगस्त 2023 में स्वामी प्रसाद एक वीडियो X पर पोस्ट किया था। इस वीडियो में वे कहते दिखे, “ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सारी विषमताओं का कारण ब्राह्मणवाद है। हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं। यह केवल धोखा है।” उन्होंने कहा था कि जो ब्राह्मण धर्म है, उसी को हिंदू धर्म कहकर देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फँसाने की एक साजिश है।
नवंबर 2023 में उन्होंने दिवाली त्योहार और माँ लक्ष्मी का मजाक बनाया था। अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिवाली पर अपनी पत्नी की पूजा करते हुए तस्वीरें शेयर की हैं। उन्होंने माँ लक्ष्मी पर भी सवाल खड़ा किए। बता दें कि दिवाली में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिन्हें धन-धान्य एवं समृद्धि की देवी माना गया है। इससे पहले उन्होंने रामचरितमानस को भी भला-बुरा कहा था।
बता दें कि मौर्या के खिलाफ उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस पर विवादित बयान देने के कारण कई मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी 2024 को समाजवादी पार्टी के निवर्तमान नेता एवं उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्या के ऊपर चल रही कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
मौर्या ने रामचरितमानस का नाम लेते हुए था कहा कि अब करोड़ों लोग इस किताब को नहीं पढ़ते हैं, क्योंकि इसमें सब बकवास लिखा गया है। स्वामी प्रसाद ने रामचरितमानस के कुछ हिस्से को आपत्तिजनक बताते हुए सरकार से उसे हटाने की माँग की थी। उन्होंने आगे कहा था कि अगर वो अंश ना हट पाए तो पूरी किताब को ही बैन कर देना चाहिए।
मौर्या ने यहाँ तक कहा था कि वह रामचरितमानस को धर्मग्रंथ मानते ही नहीं हैं, क्योंकि इस किताब को तुलसीदास ने अपनी खुद की ख़ुशी के लिए लिखा था। स्वामी प्रसाद ने आरोप लगाया था कि रामचरितमानस में कुछ ऐसी चौपाइयाँ हैं, जिनमें शूद्रों को अधम होने का सर्टिफिकेट दिया गया है। उन्होंने उन चौपाइयों को एक वर्ग के लिए गाली जैसे बताया था।
मौर्या ने करीब एक महीने पहले समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले उन्होंने पार्टी के महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ दी थी। मौर्या ने अपनी नई पार्टी का गठन कर लिया था, जिसका नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी रखा है।