केरल में डिप्लोमेटिक बैगेज की आड़ में सोने की तस्करी का मामला स्वप्ना सुरेश से शुरू हुआ और फिर इसके तार मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के दफ्तर तक पहुँच गए। अब स्वप्ना सुरेश ने कहा है कि उनके अकाउंट से जो 1 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं, वो उन्हें केरल सरकार से ‘लाइफ मिशन प्रोजेक्ट’ के एजेंट के रूप में काम करने के लिए बतौर कमीशन मिले थे। ये केरल सरकार का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट है जिसे 2017 में लॉन्च किया गया था।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है कि भूमिहीन और जिनके पास आवास नहीं है, ऐसे परिवारों को बसाया जाए और उनके लिए घर बनाए जाएँ। अब इसमें केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का नाम इसीलिए आता है क्योंकि इस प्रोजेक्ट के मुखिया वही हैं और उन्होंने UAE की यात्रा भी की थी ताकि इसके लिए 20 करोड़ का डोनेशन जुटा सकें। UAE के ‘Red Crescent’ से उन्हें 20 करोड़ रुपए मिले, जिस पर सवाल उठ रहे हैं।
स्वप्ना सुरेश ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट को पास कराने के लिए उन्हें 1 करोड़ रुपए कमीशन मिले। कॉन्ग्रेस का तो यहाँ तक आरोप है कि केरल सीएम के UAE जाने के बाद ही स्वप्ना सुरेश और IT सचिव एम शिवशंकर भी दुबई गए थे। ऐसे में विपक्षी नेताओं का सवाल है कि विजयन ने जो MoU पर हस्ताक्षर किया, वो कहाँ और किसकी मौजूदगी में किया। क्या उस समय वहाँ स्वप्ना सुरेश भी उपस्थित थी?
Swapna Suresh’s counsel opposed the application of UAPA against her client arguing that the case pertains to an “economic offence and is not terror related”.https://t.co/ZMZ5jQxCes
— Hindustan Times (@htTweets) August 10, 2020
उधर स्वप्ना सुरेश की जमानत याचिका भी NIA की स्पेशल कोर्ट ने खारिज कर दी है। सबूतों और केस डायरी के अध्ययन के बाद ये फैसला लिया गया। सोने की तस्करी में स्वप्ना सुरेश के खिलाफ कई सबूत हैं, ऐसा कोर्ट ने माना है। इस अपराध में UAPA एक्ट के तहत कार्रवाई हो रही है। आतंकी गतिविधियों के भी इससे जुड़े होने की आशंका है। इस प्रकरण में अब तक क्या-क्या हुआ और कब हुआ, ये हम आपको बताते हैं।
केरल: सोने की तस्करी मामले में अब तक क्या हुआ
NIA ने खुलासा किया था कि पिछले 10 महीनों में केरल में लगभग 150 किलोग्राम सोने की तस्करी की गई थी। एजेंसी ने अदालत को बताया था कि जाँच में यह भी पता चला है कि तस्करी मुख्य रूप से आभूषण बनाने में नहीं बल्कि आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता था, क्योंकि नकदी में लेन-देन करना मुश्किल हो गया था। एनआईए ने अदालत में कहा था कि आरोपितों ने सोना तस्करी के लिए यूएई दूतावास की सील और राजकीय चिन्ह से छेड़छाड़ कर अपराध को अंंजाम दिया।
राजनयिक के सामान के जरिए सोने की तस्करी करने की कोशिश करने वाली महिला स्वप्ना सुरेश के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। गृह मंत्रालय ने प्रारंभिक जाँच की थी और पाया था कि तस्करी का सोना आतंकवादी गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता था। स्वप्ना सुरेश और सरिथ, जो पहले यूएई वाणिज्य दूतावास के कर्मचारी थे, ने राजनयिक सामान की आवाजाही के बारे में सीखा और सोने की तस्करी करने के लिए इसे मॉडस ऑपरेंडी के रूप में इस्तेमाल किया।
फर्जी डाक्यूमेंट्स पेश कर के गुरुवार (जुलाई 2, 2020) को ‘डिप्लोमेटिक इम्युनिटी’ का प्रयोग कर के खाड़ी देशों से 30 किलो सोने की तस्करी हुई। इतना सारा सोना डिप्लोमैटिक बैग में भर कर लाया गया था। इसका खुलासा 6 जुलाई को तब हुआ, जब कस्टम के अधिकारियों ने यूएई कॉन्सुलेट के एक अधिकारी सरिथ से पूछताछ की, जो PRO के पद पर तैनात रहा था। कहा जा रहा है कि 6 महीने पहले स्वप्ना को आईटी विभाग में इतना बड़ा पद दिए जाने के पीछे एम शिवशंकर ही है।
स्वप्ना सुरेश की फोन कॉल से यह खुलासा हुआ है, इतना ही नहीं वह केरल के उच्च शिक्षा मंत्री केटी जलील से भी टच में थी। केरल के उच्च शिक्षा मंत्री और CPI (M) नेता केटी जलील और आरोपित स्वप्ना सुरेश के बीच कॉल डेटा रिकॉर्ड से पता चला कि दोनों के बीच 16 कॉल किए गए थे और वह निरंतर सम्पर्क में थे। मंत्री और स्वप्ना सुरेश के बीच मई और जून के महीने में कई कॉल हुए थे।
स्वप्ना सुरेश के साथ मुख्यमंत्री विजयन के नजदीकी को लेकर केरल में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। विपक्ष मुख्यमंत्री के इस्तीफे की माँग कर रहा है। एनआइए के अनुसार, इतनी बड़ी मात्रा में सोना तस्करी सीधे तौर पर देश की आर्थिक स्थिरता पर हमले की कोशिश है। साथ ही इसका उपयोग आतंकी फंडिंग के लिए किए जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। मामला खुलने के बाद केरल के प्रमुख सचिव एम शिवशंकर को पद से हटा दिया गया था।
NIA इस मामले में पाँचवे आरोपित रमीज़ को पूरे प्रकरण की अहम कड़ी मान रहा है और उससे पूछताछ में कई राज़ खुलने की सम्भावना है। सामान्यतः रमीज़ 2 महीने के लिए दुबई जाया करता था और फिर कुछ दिनों के लिए केरल वापस लौटता था। वो विजिटिंग वीजा लेकर दुबई में रुकता था। वो बिजनेस का बहाना बना कर वहाँ जाता था लेकिन जाँच में पता चला है कि वहाँ न तो उसका कोई बिजनेस है और न ही वो वहाँ कोई नौकरी करता है।