तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुवाई वाली द्रमुक मुनेत्र कषगम (DMK) सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी को मद्रास हाईकोर्ट ने आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में 3 वर्ष की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उन पर ₹50 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। उनकी पत्नी पर भी ₹50 लाख का कोर्ट ने जुर्माना लगाया है। मद्रास हाईकोर्ट ने पोनमुडी को 19 दिसंबर को दोषी ठहराया था और 21 दिसम्बर 2023 को सजा सुनाई। अब उनका मंत्री पद और विधानसभा सदस्यता, दोनों जा सकती है।
कौन हैं के पोनमुडी?
72 वर्षीय के पोनमुडी तमिलनाडु के कल्लाकुरुची जिले में तिरुक्कोल्यालुर सीट से विधायक हैं। वह DMK के प्रभावी नेताओं में से एक हैं। पोनमुडी साल 2006 से 2011 तक की करूणानिधि सरकार में भी उच्च शिक्षा मंत्री थे। इससे पहले वे राज्य में ट्रांसपोर्ट और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय सँभाल चुके हैं। वह 2016 से एमके स्टालिन सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री हैं।
पोनमुडी का परिवार सूर्या कॉलेज समूह का मालिक है। इसके अंतर्गत वह इंजीनियरिंग, विज्ञान और पॉलिटेक्निक के कॉलेज चलाते हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी साल 1989 में शुरू की थी। इसके बाद वे 6 बार विधायक बने। पोनमुडी के एक बेटे गौतम सिगामणि सांसद हैं, जबकि दूसरे बेटे तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।
द्रमुक नेता पनमुडी ने मई 2022 में हिंदी भाषियों पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि जो लोग हिंदी बोलते हैं, वे तमिलनाडु एवं अन्य राज्यों में पानीपूरी बेचते हैं। अंग्रेजी को अंतरराष्ट्रीय भाषा बताते हुए पोनमुडी ने कहा था, “बहुत से लोग कहते हैं कि अगर आप हिंदी पढ़ते हैं तो आपको नौकरी मिलेगी। क्या ऐसा है? आप कोयंबटूर या कहीं जाकर देख सकते हैं कि जो पानीपुरी बेच रहा है वे सभी हिंदी बोलते हैं?”
क्या है के पोनमुडी पर आरोप?
पोनमुडी पर आरोप है कि साल 2006 से 2010 के दौरान उनकी और उनकी पत्नी की सम्पत्ति में ₹1.7 करोड़ की वृद्धि हुई। यह आय उनके बताए गए स्रोतों से मेल नहीं खाती है। तमिलनाडु के विजिलेंस और भ्रष्टाचार निरोधी विभाग (DVAC) ने बताया कि उनकी और उनकी पत्नी की सम्पत्ति 2006 की शुरुआत में ₹2.71 करोड़ थी, जो 2011 में बढ़कर ₹6.27 करोड़ हो गई।
इस बढ़ी हुई आय में से ₹1.7 करोड़ का कोई हिसाब नहीं मिला। इसी आधार पर उनके खिलाफ मामला चलाया गया। सबसे पहले उनके खिलाफ विल्लुपुरम जिला अदालत में मामला दर्ज किया गया, लेकिन 2016 में जिला अदालत ने यह कहकर उन्हें और उनकी पत्नी को छोड़ दिया कि उनके खिलाफ पेश किए गए सबूत पूरे नहीं हैं और उनकी पत्नी को कृषि जैसे स्रोतों से आय हो रही थी।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
इसके बाद यह मामला मद्रास हाईकोर्ट में गई। मद्रास हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जी जयचंद्रन ने निचली अदालत के निर्णय को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने पोनमुडी और उनकी पत्नी पी. विशालाक्षी को अलग-अलग मानकर भूल की है।
हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने अपने निर्णय में कहा था कि पोनमुडी की पत्नी उनके द्वारा अज्ञात स्रोतों से कमाई गई धनराशि को समायोजित नहीं कर रही थीं। हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने इसके पीछे उनकी कृषि आय को आधार बनाया है, लेकिन यह साफ़ है कि जिस आय का स्रोत नहीं पता है वह कृषि से नहीं आई।
हाईकोर्ट ने इस मामले में आज (21 दिसम्बर 2023) को सुनवाई करते हुए 72 वर्षीय के. पोनमुडी के खिलाफ सबूतों को सही पाया और दोषी ठहराते हुए 3 वर्षों की सजा सुना दी। उनके और उनकी पत्नी पर अलग-अलग ₹50 लाख का जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना ना भरने की दशा में 6 महीने की और जेल होगी।
सजा मुक़र्रर होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता और मंत्री पद अपने आप चला जाएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत यदि किसी भी विधायक/सांसद को 2 वर्षों से अधिक की सजा होती है तो उसका पद चला जाता है। हालाँकि, इस मामले में वे हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इसके लिए उन्हें 30 दिन का समय दिया गया है।