प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन का भूमि पूजन करेंगे। इसकी घोषणा होने के साथ ही विपक्ष की ’धर्मनिरपेक्ष’ ताकतें इस कदम को ‘गैर-धर्मनिरपेक्ष’ साबित करने की कोशिश में जुट गई है।
टाइम्स नाउ के रिपोर्ट के अनुसार, “टीएमसी नए संसद भवन के निर्माण से पहले भूमि पूजन समारोह का विरोध करती है। यह कदम ‘धर्मनिरपेक्ष नहीं’ है। अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सरकार की ‘प्राथमिकताओं’ पर सवाल उठाया है।” तृणमूल कॉन्ग्रेस के अलावा राशिद अल्वी, पीएल पुनिया जैसे कॉन्ग्रेसी और सीपीआई के नेताओं ने भी संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का हवाला देते हुए भूमि पूजन के फैसले की आलोचना की है।
TMC opposes the Bhoomi Pujan ceremony ahead of the construction of the new Parliament building; says the move is ‘not secular’. Leaders of other Opposition parties have also questioned the ‘priorities’ of the Govt. pic.twitter.com/DbMWK368dU
— TIMES NOW (@TimesNow) December 7, 2020
तृणमूल कॉन्ग्रेस नेता, महुआ मोइत्रा ने भी रविवार (दिसंबर 6, 2020) को सरकार के फैसले के बारे में अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। एक ट्वीट में उन्होंने दावा किया कि देश के प्रधानमंत्री को ‘धर्मनिरपेक्ष’ ‘बहु-आस्था’ वाले लोकतंत्र में आधारशिला रखना चाहिए, न कि भूमि पूजन करना चाहिए। खुद को ‘संविधान समर्थक’ बताते हुए मोइत्रा ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने इस तरफ इशारा किया इसका मतलब यह नहीं कि वे हिंदू विरोधी हैं।
In a secular multi-faith democracy a PM should lay the foundation stone of a new parliament building, NOT do a “Bhoomi Pooja”
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) December 6, 2020
And no, I am not anti-Hindu to point this out, merely pro- constitution
उनके ट्वीट में लिखा था, “एक धर्मनिरपेक्ष बहु-आस्था वाले लोकतंत्र में पीएम को नए संसद भवन की आधारशिला रखनी चाहिए, न कि ‘भूमि पूजा’ करनी चाहिए। मैं इस तरफ इशारा करने के लिए हिंदू विरोधी नहीं हूँ, केवल संविधान समर्थक हूँ।”
Hon’ble Prime Minister, Shri @narendramodi will perform Bhumi pujan of the new Parliament building on 10 December. Construction work is likely to be completed by October 2022. On 75th anniversary of our Independence, Session will be held in the new Parliament. #NewParliament pic.twitter.com/bHiqASizPx
— Lok Sabha Speaker (@loksabhaspeaker) December 5, 2020
10 दिसंबर को नए संसद भवन का भूमि पूजन
शनिवार (दिसंबर 5, 2020) को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बताया था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को नए संसद भवन का भूमि पूजन करेंगे। अक्टूबर 2022 तक निर्माण कार्य पूरा होने की संभावना है। हमारी स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगाँठ पर नई संसद में सत्र आयोजित किया जाएगा।”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा सदस्यों के लिए लगभग 888 सीटें होंगी और नए भवन में राज्यसभा सदस्यों के लिए 326 सीटें होंगी। नए भवन में 1224 सदस्यों को एक साथ समायोजित करने की क्षमता होगी। बिड़ला ने नए संसद भवन को आत्मनिर्भर भारत का मंदिर बताया, जो राष्ट्र की विविधता को दर्शाएगा।
संविधान की मूल प्रति में भगवान राम
ऐसा अक्सर देखा गया है कि भारत में लेफ्ट-लिबरल गिरोह हर घटना को पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता के नजरिए से विश्लेषण करते हुए भारत की सांस्कृतिक बारीकियों और विरासत को समझने में विफल रहा है। भारत के संविधान में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण का चित्रण है जो लंका में रावण का वध करने के बाद अयोध्या लौट रहे हैं। तस्वीर मौलिक अधिकारों से संबंधित अध्याय की शुरुआत में दिखाई देती है।
अगस्त में राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भगवान राम को नमन करते हुए भारतीय संविधान की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की, जिसमें श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण वनवास से वापस अयोध्या के लिए लौट रहे हैं।
अपने ट्वीट में रविशंकर प्रसाद ने लिखा, “भारत के संविधान की मूल प्रति में मौलिक अधिकारों से जुड़े अध्याय के आरम्भ में एक स्केच है जो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापसी का है। आज संविधान की इस मूल भावना को आप सभी से शेयर करने का मन हुआ।”