तृणमूल कॉन्ग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बंगाल में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर ट्वीट किया मगर इसके बाद वे खुद ही ट्रोल हो गए। दरअसल ब्रायन अपने किए एक ट्वीट के ज़रिये यह दिखाने की कोशिश में थे कि स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने में बंगाल में उनकी पार्टी की सरकार केंद्र की मोदी सरकार से आगे है। लेकिन बेचारे फँस गए। अपने ट्वीट में गलत आँकड़े देकर तृणमूल के सांसद बाबू फेक न्यूज़ फैलाने वालों में शुमार हो गए और उनकी अच्छी खासी किरकिरी हो गई।
अपने ट्वीट में ब्रायन ने लिखा कि जहाँ एक ओर भारत सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 2017-18 में 1.28 प्रतिशत खर्च किया है वहीं पश्चिम बंगाल ने साल 2018-19 में 4.01% किया। दो अलग-अलग वित्तीय वर्षों की तुलना करने वाले क्विज़ मास्टर कहे जाने वाले ब्रायन यहीं नहीं रुके बल्कि जिन आँकड़ों को ट्वीट कर वे अपनी पीठ थपथपाने में लगे थे दरअसल उनका एक साथ कम्पेयर किया जाना भी गलत है। ब्रायन ने राष्ट्रीय स्तर के इस आँकड़े के लिए जीडीपी का इस्तेमाल किया जबकि बंगाल के आँकड़े के लिए उन्होंने राज्य के बजट से खर्च होने वाला हिस्सा बताया जोकि 4.01% है।
India story versus Bengal story #healthcare pic.twitter.com/CM5mZSmyHK
— Derek O’Brien | ডেরেক ও’ব্রায়েন (@derekobrienmp) November 2, 2019
दरअसल बजट और जीडीपी दोनों ही ऐसे विषय हैं, जो एक दूसरे से भिन्न हैं। अगर किसी को दो सरकारों के किए खर्च की तुलना करनी है तो उन्हें दोनों के बजट का हिस्सा देखेंगे न कि बजट के साथ जीडीपी की तुलना करेंगे। ब्रायन यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने एक और ऐसा ग्राफ ट्वीट कर दिया जिसमें उन्होने कहा कि 2019-2020 के लिए जहाँ भारत अपने बजट का 2.31% खर्च करेगा वहीं बंगाल की सरकार अपने बजट से 4.01% खर्च करेगी।
हालाँकि दूसरे ग्राफ में ब्रायन ने दो अलग-अलग तरह के आँकड़ों की तुलना वाली गलती नहीं की मगर यह आँकड़ा सही नहीं है। यह कहना पूरी तरह से गलत है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने बंगाल सरकार से कम खर्च किया है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि केन्द्रीय बजट में कई प्रकार के खर्चे जुड़े होते हैं जिनके लिए केन्द्रीय बजट में प्रावधान किया जाता है मगर राज्य सरकारों द्वारा बनाए जाने वाले बजट में यह दायित्व नहीं होता जैसे डिफेन्स बजट, राज्यों को दी जाने वाली वित्तीय सहयता और सड़क से लेकर बड़े-बड़े संस्थानों तक के निर्माण की ज़िम्मेदारी होती है। यानी केंद्र के बजट में कई ऐसे प्रावधान हैं जहाँ कई संसाधनों और व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए के लिए बजट से धनराशि को बाँटा जाता है जो कि राज्यों में नहीं हैं।
Thank you for suggesting I should compare like-with-like. So here it is. Spend on #healthcare The India Story versus The Bengal Story #1 pic.twitter.com/52rTIniamf
— Derek O’Brien | ডেরেক ও’ব্রায়েন (@derekobrienmp) November 3, 2019
भारत की संवैधानिक व्यवस्था में प्रदेश ऐसी कई बड़ी जिम्मेदारियों से मुक्त होते हैं, यही वजह है कि अपना बजट खर्च करने के लिए उनके पास केंद्र के मुकाबले बहुत कम जिम्मेदारियाँ हैं। इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय संविधान के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए स्टेट लिस्ट में प्रावधान किया गया है यानी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना केंद्र सरकार नहीं बल्कि प्रदेश सरकार का दायित्व है। हालाँकि प्रदेश और केंद्र की साझा ज़िम्मेदारी लिखित न होते हुए भी केंद्र सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अपनी ओर से खर्च करती है लिहाज़ा इस तरह की बेतुकी तुलना करना पूर्णत: गलत है।