केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को खरी-खरी सुनवाई है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के बेहद ही शक्तिशाली माध्यम है और हमारे जीवन में इसका खासा प्रभाव है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की जवाबदेही कैसे तय हो, ये सवाल दुनिया के कई हिस्सों में एक वैध प्रश्न बन चुका है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में देश-समाज इस दिशा में जा रही है कि सोशल मीडिया को उत्तरदायी बनाना ज़रूरी है।
अब सवाल ये है कि इसे किया कैसे जाएगा? इस पर केंद्रीय MeitY मंत्री ने कहा कि सेल्फ-रेगुलेशन महत्वपूर्ण है, जिसके तहत इन्हें समाज में नकारात्मक प्रभाव डालने वाले कंटेंट्स को खुद ही दूर कर देना चाहिए। उन्होंने आगे इंडस्ट्री रेगुलेशन और फिर सरकारी रेगुलेशन की बात की। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में एक ऐसा इकोसिस्टम या थॉट प्रोसेस बन रहा है कि सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए और जैसे पत्रकार इतनी मेहनत कर के कंटेंट क्रिएट करते हैं तो इसका फायदा आपको भी मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर फेसबुक से इससे राजस्व आ रहा है तो आपको भी इसका हिस्सा मिलना चाहिए। उन्होंने इस प्रक्रिया में सभी को भागीदार बनाने की भी बात की। बता दें कि ट्विटर ने मोदी सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला लिया है और भड़काऊ कंटेंट्स नहीं हटा रहा है। कंपनी का कहना है कि कुछ अधिकारी नियमों का गलत इस्तेमाल कर रहे, ऐसे में इनकी न्यायिक समीक्षा होनी चाहिए। ट्विटर को आईटी मंत्रालय द्वारा चेतावनी भी दी जा चुकी है कि बात न मानने की स्थिति में उसके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने खालिस्तानी समर्थक हैंडल्स पर कार्रवाई के लिए ट्विटर को कहा था। ‘किसान आंदोलन’ के समय अफवाहों का बाजार गर्म करने के लिए झूठी सूचनाएँ जम कर प्रसारित की गई थीं, ऐसे में इन कंटेंट्स को हटाने को भी कहा गया था। साथ ही कोरोना को लेकर भड़काऊ और झूठे कंटेंट्स फ़ैलाने वाले हैंडल्स पर कार्रवाई को कहा गया था। ट्विटर ने इन्हें ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ मान कर इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की और सरकार से ही भिड़ गया।
#WATCH | An ecosystem, thought process that social media should be held accountable, is spreading in our country as well as globally…Rapid work underway on how to make it accountable: Union IT Minister Ashwini Vaishnaw to ANI pic.twitter.com/vQ2VjleVzK
— ANI (@ANI) July 5, 2022
ट्विटर को भड़काऊ और अफवाहों वाले कंटेंट्स हटाने के लिए 4 जुलाई तक का समय दिया गया था। ट्विटर ने कई हैंडल्स पर कार्रवाई की भी, लेकिन अब वो इसकी समीक्षा पर उतर आया है। कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्विटर ने सरकार के आदेशों को चुनौती दे दी है। नए आईटी नियमों को मानने में भी सोशल मीडिया कंपनी ने खासी आनाकानी की थी। वो लद्दाख को चीन का हिस्सा दिखा चुका है, B.1.617 को कोरोना का भारतीय वेरिएंट बताने को आगे बढ़ा चुका है और भाजपा नेताओं के कंटेंट्स पर ‘भ्रामक मीडिया’ का टैग लगा चुका है।