महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिव सेना के एक नेता ने दावा किया है कि उद्धव ठाकरे ने पालघर में हुई हिन्दू साधुओं की भीड़ हत्या की सीबीआई जाँच राहुल गाँधी के दबाव में नहीं करवाई थी। महाराष्ट्र के पालघर में अप्रैल, 2020 में दो हिन्दू साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
इस मामले को लेकर शिवसेना के प्रवक्ता किरण पावसकर ने कहा, “पालघर में हिन्दू साधुओं की हत्या तब हुई थी जब तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सो रहे थे और उनके गृह मंत्री अनिल देशमुख पैसों की उगाही करने में व्यस्त थे। इससे यह शक होता है कि साधुओं को महाराष्ट्र सरकार के इशारे पर मारा गया था। इस घटना के बाद उद्धव ठाकरे ने बहुत ढीलाढाला सा जवाब दिया था और इसकी जाँच को लेकर कोई कदम नहीं उठाए। उनकी सरकार के इस मामले को सीबीआई को ना सौंपने के कारण जाँच में काफी देरी हुई।”
पावसकर ने आरोप लगाया कि घटना के महीनों बाद तक कोई ख़ास कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इसी कारण से जूना अखाड़ा को सीबीआई जाँच की माँग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी, लेकिन तब भी उद्धव सरकार ने सीबीआई जाँच का विरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई को यह मामला इसलिए नहीं सौंपा गया क्योंकि उद्धव सरकार कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के दबाव में थी।”
गौरतलब है कि साधुओं की हत्या के दौरान राज्य में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी की सरकार थी। इसमें शिवसेना के साथ कॉन्ग्रेस और एनसीपी भी शामिल थी। साधुओं की हत्या के मामले ने देश खूब सुर्खियाँ बटोरी थीं। इसके बाद सीबीआई जाँच की माँग उठी थी। हालाँकि, उद्धव सरकार ने इस मामले की जाँच राज्य की सीआईडी को दे दी थी। जूना अखाड़ा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और सीबीआई जाँच की माँग की थी जिसका उद्धव सरकार ने विरोध किया था।
राज्य में सत्ता बदलने के बाद भाजपा-शिवसेना (बालासाहेब) की सरकार ने इस मामले की सीबीआई जाँच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी और इसके आदेश दिए थे। शिंदे सरकार ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी।
क्या है मामला…
16 अप्रैल 2020 में कल्पवृक्ष गिरि और सुशील गिरि नाम के दो साधुओं और उनके ड्राइवर को पालघर में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। जब यह घटना हुई थी, तब दोनों साधु मुंबई से सूरत की यात्रा कर रहे थे। इस दौरान 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने उन्हें रोक लिया था और पथराव करने के बाद उनकी कार को उलट दिया था। भीड़ ने साधुओं की इतनी पिटाई की कि उन्होंने दम तोड़ दिया था।
इस घटना के बाद जून 2020 में पंच दशाबन जूना अखाड़े के साधुओं और दो मृतक साधुओं के रिश्तेदारों ने मामले की जाँच कर रहे राज्य के अधिकारियों पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट से एनआईए/सीबीआई जाँच की माँग की थी।