Sunday, November 17, 2024
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UCC की तैयारी पूरी, अब विधानसभा में पेश होगा बिल: जानें उत्तराखंड की समान नागरिक संहिता की खास बातें, किन पर नहीं लागू होगा कानून

समान नागरिक संहिता लागू होने से बहुविवाह पर रोक लगेगी। महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा एवं बच्चों को गोद लेने का भी अधिकार मिल सकता है। सभी धर्मों में लड़की की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होगी।

उत्तराखंड सरकार मंगलवार (6 फरवरी, 2024) को विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) बिल पेश करेगी। उत्तराखंड कैबिनेट ने रविवार (4 फरवरी, 2024) को मुख्यमंत्री आवास पर हुई कैबिनेट की बैठक में इस बिल को मंजूरी दी थी। उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय विशेष सत्र UCC को पास करने के लिए ही बुलाया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “यूसीसी एक लंबे समय से प्रतीक्षित बिल है। इंतजार जल्द ही खत्म होने वाला है। हम बिल को कल (6 फरवरी 2024) विधानसभा में पेश करेंगे और सभी प्रक्रियाएँ और बहसें होंगी। पूरा देश उत्तराखंड की ओर देख रहा है। मेरा अनुरोध है कि हर किसी को आशावादी रूप से बहस में भाग लेना चाहिए।”

उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय विशेष सत्र पहले ही 5-8 फरवरी तक बुलाया जा चुका है। इसके लागू होते ही उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला पहला भारतीय राज्य बन जाएगा। यह पुर्तगाली शासन के दिनों से ही गोवा में चालू है। आइए बताते हैं, उत्तराखंड यूसीसी बिल की खास बातें...

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विभिन्न धर्मों के सिविल कानूनों में एकरूपता आ जाएगी। महिलाओं, खास करके मुस्लिम समाज की महिलाओं को हिंदू महिलाओं की तरह अधिकार मिल जाएँगे।

समान नागरिक संहिता लागू होने से बहुविवाह पर रोक लगेगी। महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा एवं बच्चों को गोद लेने का भी अधिकार मिल सकता है। सभी धर्मों में लड़की की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होगी।

वर्तमान में मुस्लिम समाज शरिया पर आधारित पर्सनल लॉ के तहत संचालित होता है। इसमें मुस्लिम पुरुषों को चार विवाह की इजाजत है। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद मुस्लिम लड़कियों को भी लड़कों के बराबर अधिकार दिया जाएगा।

यूसीसी लागू होने से मुस्लिम समुदाय में इद्दत और हलाला जैसी प्रथा पर प्रतिबंध लग सकता है। तलाक के मामले में शौहर और बीवी को बराबर अधिकार मिलेगा।

समान नागरिक संहिता में सभी धर्म के लोगों को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पंजीकरण कराना जरूरी किया जाएगा। इसमें महिला और पुरुष की पूरी जानकारी होगी। ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को भी जानकारी देनी होगी।

समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह का पंजीकरण कराना भी अनिवार्य किया जा सकता है। बिना रजिस्ट्रेशन विवाह अमान्य माने जाएँगे।

समान नागरिक संहिता में नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में पत्नी को मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही बेटे के बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी।

अगर पति की मृत्यु के बाद पत्नी दोबारा शादी करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता को दिया जाएगा। पत्नी की मृत्यु होने की स्थिति में उसके माता-पिता की देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी।

यूसीसी के तहत अनाथ बच्चों के लिए संरक्षण की प्रक्रिया को भी सरल बनाया जा रहा है। पति-पत्नी के बीच विवाद की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उसके दादा-दादी को दिए जाने का प्रावधान किया जा सकता है।

बच्चों की संख्या निर्धारित करने जैसी व्यवस्था भी UCC में की जा सकती है। समान नागरिक संहिता में इन प्रावधानों से जनजातीय समुदाय के लोगों को छूट मिल सकती है।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2022 में जीत मिलने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। इसका ड्राफ्ट बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने समिति का कार्यकाल तीन बार बढ़ाया था। इस दौरान समिति ने समान नागरिक संहिता पर लोगों से ऑनलाइन और ऑफलाइन सुझाव भी माँगे थे। इसके अलावा, कमिटी ने उपसमिति बनाकर हर समाज के विशिष्ट लोगों, समाजसेवियों, धार्मिक नेताओं और जागरूक नागरिकों के साथ चर्चा की और सुझाव लिए। कमिटी ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का भी दौरान किया था। यूसीसी पर कमिटी को ढाई लाख से अधिक सुझाव मिले थे। इसके बाद समिति ने केंद्रीय विधि आयोग के साथ भी समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चा की थी

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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