Friday, September 13, 2024
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मर गए भोला पांडेय, देवेंद्र के साथ मिलकर हाइजैक कर लिया था हवाई जहाज: इंदिरा गाँधी की रिहाई की रखी थी शर्त, बाद में कॉन्ग्रेस ने बना दिया MP-MLA

देवेंद्र पांडेय को इस मामले में 9 महीने, 28 दिन जेल में भी रहना पड़ा था। देश में जब फिर से इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस की सरकार बनी, तब इन पर लगे मुकदमों को वापस ले लिया गया।

डॉक्टर भोलानाथ पांडेय का शुक्रवार (23 अगस्त 2024) को निधन हो गया। वे अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के पूर्व राष्ट्रीय सचिव थे। पूर्व विधायक। लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके थे। पर ये उनका अधूरा परिचय है। उनका पूरा परिचय यह है कि उत्तर प्रदेश के ही देवेंद्र पांडेय के साथ मिलकर उन्होंने एक विमान को अगवा कर लिया था।

देवेंद्र पांडेय का साल 2017 में निधन हुआ था। दोनों की माँग थी कि इंदिरा गाँधी को बिना शर्त रिहा कर दिया जाना चाहिए। इसका इनाम दोनों को कॉन्ग्रेस ने बाद में सांसद-विधायक बनाकर दिया। वैसे सियासत और अपराध का घालमेल नई बात नहीं है। इस मोर्चे पर भी कॉन्ग्रेस सबसे ज्यादा अनुभव रखती है। सत्तालोभ और तुष्टिकरण के लिए ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जिसे उसने ध्वस्त न किया हो।

यही कारण है कि भोला पांडेय के निधन को कॉन्ग्रेस नेता पार्टी की अपूरणीय क्षति बता रहे हैं। उन्हें अन्याय के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाला बता रहे हैं। जिस घटना ने भोला पांडेय के कॉन्ग्रेस में आगे बढ़ने की नींव डाली वह दिसंबर 1978 का है। किशन आर वाधवानी की पुस्तक ‘इंडियन एयरपोर्ट्स (शॉकिंग ग्राउंड रियलिटीज़)’ के अनुसार, भोला और देवेंद्र पांडेय ने इंडियन एयरलाइंस के एक घरेलू उड़ान का अपहरण कर लिया था। देवेंद्र पांडे कॉन्ग्रेस के उन समर्थकों में से एक थे, जो अपने चहेते नेता के लिए कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहते थे।

इंदिरा गाँधी की रिहाई के लिए 27 साल के देवेंद्र पांडेय ने भोला पांडेय के साथ मिलकर फिल्मी स्टाइल में इंडियन एयरलाइंस के विमान को हाइजैक कर लिया। दोनों ने क्रिकेट बॉल को रुमाल से ढककर उसे बम बताते हुए प्लेन को अगवा किया। दिल्ली जाने वाले प्लेन को वाराणसी ले गए। उस वक्त प्लेन में 132 यात्री सवार थे।

विमान अपहरण के बदले उन्होंने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी कि रिहाई की माँग की थी, जिन्हें कि आपातकाल के बाद गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों ने यात्रियों को छोड़ने के लिए मुख्यतः तीन शर्तें रखी थीं;

  • इंदिरा गाँधी को रिहा किया जाए।
  • इंदिरा गाँधी और संजय गाँधी के खिलाफ लगे सारे आरोप खत्म किए जाएँ।
  • इंदिरा गाँधी को गिरफ्तार करने वाली केंद्र की जनता पार्टी की सरकार इस्तीफा दे।

हालाँकि, इस विमान अपहरण कि घटना को ‘राजनीतिक हास्य’ का नाम दिया गया क्योंकि पांडेय भाइयों ने विमान अपहरण के लिए बच्चों के खिलौने वाले हथियार का इस्तेमाल किया था। कुछ घंटों के लिए 132 यात्रियों को बंधक बनाए रखने के बाद, उन्होंने मीडिया की मौजूदगी में वाराणसी उतरने पर आत्मसमर्पण कर दिया था।

देवेंद्र पांडेय को इस मामले में 9 महीने, 28 दिन जेल में भी रहना पड़ा था। देश में जब फिर से इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस की सरकार बनी, तब इन पर लगे मुकदमों को वापस ले लिया गया।

गाँधी परिवार की भक्ति में उठाए गए इस कदम के कारण ही विमान अपहरण के इस संगीन अपराध के बावजूद ‘पुरस्कार स्वरूप’ कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया गया था- पहले उन्हें 1980 में विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का टिकट मिला और बाद में लोकसभा के लिए। इस चुनाव में पांडेय जीत गए और उत्तर प्रदेश की विधान सभा के सदस्य बन गए।

भोलानाथ पांडेय ने वर्ष 1980 से 1985 और 1989 से 1991 तक दोआबा, बलिया से कॉन्ग्रेस विधायक के रूप में कार्य किया। दूसरी तरफ देवेंद्र पांडेय दो कार्यकाल तक संसद के सदस्य रहे और उत्तर प्रदेश के महासचिव के रूप में कॉन्ग्रेस पार्टी की सेवा की।

दोनों पांडेय बंधुओं को भारत में आपातकाल के दौरान जेल में सभी विपक्षी नेताओं की हत्या के विचार के साथ ही कई अन्य आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। भोलानाथ पांडेय आजमगढ़ जिले से थे और देवेंद्र पांडेय उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से। दोनों ही युवा कॉन्ग्रेस के सदस्य थे।

विमान का अपहरण करना कुछ सबसे बड़े अपराधों में से एक है और ऐसे व्यक्ति को आजीवन कारावास की न्यूनतम सजा से लेकर मौत की सजा तक हो सकती थी। लेकिन कॉन्ग्रेसी प्लेन अपहरणकर्ताओं को परिवार के लिए उठाए गए इस कदम के लिए संसद भेजकर सम्मानित किया गया।

विमान अपहरण की इस घटना के दशकों बाद, ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की 2014 की एक रिपोर्ट से पता चला कि विमान अपहरणकर्ता भोलानाथ पांडेय लोकसभा चुनाव के दौरान सलेमपुर से कॉन्ग्रेस का उम्मीदवार था। उन्हें कॉन्ग्रेस ने 1991,1996,1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ाया। यह दूसरी बात है कि 7 बार टिकट मिलने के बाद भी वे संसद नहीं बन पाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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