लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी अपने चुनावी अभियान की समीक्षा करने में जुटी हुई है। कॉन्ग्रेस महासचिव और पूर्वी यूपी की प्रभारी प्रियंका गाँधी समीक्षा बैठक कर रही हैं। इस बैठक में पार्टी के नेताओं ने एक सुर में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी को 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की माँग की है।
कॉन्ग्रेस आभार सम्मेलन में प्रियंका गाँधी की नाराजगी दिखी, “मैं यहाँ भाषण नहीं, समीक्षा कर अपनी भावनाओं को प्रकट करना चाहती हूँ। आपने समर्थन दिया, लेकिन सच्चाई कड़वी लगेगी। इस चुनाव में रायबरेली की जनता ने सोनिया गाँधी को जिताया है। इस चुनाव में सभी कार्यकर्ताओं ने दिल से काम नहीं किया। इस चुनाव में आप सब में से जिसने दिल से काम किया है उसकी जानकारी आप सबको है। जिसने दिल से काम नहीं किया उसकी जानकारी मैं करूँगी। मैंने हमेशा कहा कि चुनाव संगठन लड़ाता है। अपना मन बना लीजिए दिल से काम करना है, तो संघर्ष करना पड़ेगा।”
बैठक में हार के लिए कमजोर संगठन को जिम्मेदार माना गया जबकि पार्टी का मानना है कि भविष्य में पार्टी को गठबंधन नहीं करना चाहिए। उत्तर प्रदेश के 40 जिलों के कॉन्ग्रेस नेताओं ने पार्टी नेतृत्व से भविष्य में अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन का विकल्प चुनने से मना किया है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गाँधी और कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी से बुधवार को रायबरेली के गेस्ट हाउस में मिलने वाले पार्टी नेताओं ने कहा कि पार्टी को खुद अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास करना चाहिए। कई कॉन्ग्रेस नेताओं ने यह भी माँग की कि 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया जाए।
बैठक में मौजूद पूर्व सांसद डॉ संजय सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, “सभी उपस्थित लोग इस बात पर एकमत थे कि हमें बिना किसी गठजोड़ के आगे बढ़ना चाहिए। हमें कॉन्ग्रेस को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने की जरूरत है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वाराणसी के पूर्व सांसद और कॉन्ग्रेस नेता राजेश मिश्रा ने कहा, “ज्यादातर नेताओं का मानना है कि संगठन के कमजोर होने की वजह से पार्टी को शिकस्त का सामना करना पड़ा। राज्यभर में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम किया जा रहा है। हमने मिलकर काम करने का तय किया है ताकि संगठन को मजबूत और कारगर बनाया जा सके। अगर प्रियंका डोर-टू-डोर प्रचार की जिम्मेदारी संभालती हैं तो निश्चित रूप से राज्य में हमारी सरकार होगी।”
मीडिया के अनुसार, अमेठी में कॉन्ग्रेस की हार को लेकर राहुल और प्रियंका गाँधी को रिपोर्ट सौंप दी गई है। राहुल गाँधी अमेठी में बीजेपी नेता स्मृति ईरानी से 55,000 वोटों के मामूली अंतर से हार गए थे। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ जिला अध्यक्ष ने उम्मीदवारों के चयन पर भी सवाल उठाए हैं।