सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई चल रही है। इस बीच, उत्तर प्रदेश के श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री पंडित सुनील भराला ने कहा है कि भगवान राम का मंदिर निश्चित रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में ही बनेगा। मुख्यमंत्री के बारे में उन्होंने कहा कि वो एक निर्णायक व्यक्ति हैं, वो ख़ुद अपने हाथों से मंदिर का निर्माण कार्य करेंगे, उनके पास ‘अपार शक्ति’ है।
Uttar Pradesh Minister, Pandit Sunil Bharala: Temple of Lord Ram will definitely be built during the tenure of Chief Minister Yogi Adityanath. He is a decisive man, he will be the one to build the temple with his own hands, he has ‘apaar shakti’ in him. pic.twitter.com/sLqznsDiEO
— ANI UP (@ANINewsUP) August 29, 2019
ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में आज (29 अगस्त) 15वें दिन सुनवाई चल रही है। चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई की अगुआई में पाँच सदस्यीय पीठ के समक्ष दलीलें दी जा रही हैं। इस पीठ में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
Supreme Court’s five-judge Constitution bench, headed by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi, has started hearing Ayodhya Ram Temple and Babri Masjid land (Title) dispute case. Today is 15th day of hearing in the case. pic.twitter.com/21WfllqX1J
— ANI (@ANI) August 29, 2019
बता दें कि बुधवार (28 अगस्त) को एक हिंदु संस्था ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह दावा पेश किया था कि मुगल बादशाह बाबर न तो अयोध्या गए थे और न ही विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर 1528 में मस्जिद बनाने के लिए मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया था।
राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने दलीलें रखते हुए कहा था कि विवादित ढाँचा बाबर ने बनवाई, इसका कोई सटीक प्रमाण नहीं है। इसके लिए उन्होंने बाबरनामा, आईने अकबरी, हुमायूँनामा, तुजुक-ए-जहाँगीरी जैसी ऐतिहासिक पुस्तकों का हवाला दिया। साथ ही उन्होंने कहा की मंदिर औरंगजेब ने तोड़ा था।
ख़बर के अनुसार, रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि तीन गुंबद वाली इमारत मस्जिद नहीं थी। मस्जिद में जिस तरह की चीज़ें ज़रूरी होती हैं, वो उसमें नहीं थी। समिति ने कहा कि विवादित इमारत बनवाने वाला कौन था, इस पर संदेह है। मीर बाकी नाम का बाबर का कोई सेनापति था ही नहीं।
राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने सुनवाई की शुरुआत में बाबरनामा के कुछ अंश पढ़े और कहा कि कोई भी ऐतिहासिक दस्तावेज ऐसा नहीं है जो यह बताता हो कि विवादित स्ट्रक्चर (बाबरी मस्जिद) 520 ईस्वी में बना हो। बाबरनामा में मीर बाकी के बारे में ज़िक्र नहीं है। बाकी तश्किन्दी 1529 में अवध (अयोध्या) से बाबर से मिलने गया था। उन्होंने कहा कि बाबर सिर्फ इस बात से वाकिफ़ था कि ज़मीन वक़्फ़ की है।