उत्तर प्रदेश में रविवार (19 मार्च 2023) को प्राथमिक ‘कृषि साख सहकारी समितियों (PACCS)’ के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव संपन्न हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने 7 हजार समितियों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पदों में से 6200 पदों पर कब्जा जमाया। यानी, इन चुनावों में भाजपा ने 88.5% सीटों पर शानदार जीत दर्ज की।
प्रदेश भर के 7148 सहकारी समितियों में से 7 हजार समितियों पर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर चुनाव कराए गए थे। इसमें 6200 से ज़्यादा समितियों में भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की तो वहीं समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार 500 से ज़्यादा समितियों में ही कामयाब हो सके। समिति चुनाव में भाजपा और सपा के बीच मुकाबला था।
PACS चुनावों के दौरान कई इलाकों से पत्थरबाजी, तलवारबाजी और गोलीबारी की भी खबरें सामने आईं। राजधानी लखनऊ की 81 प्राथमिक सहकारी समितियों में से 76 पर चुनाव कराए गए। इसमें से 61 पर भाजपा विजयी रही। सपा सिर्फ 2 समितियों में ही जीत हासिल कर सकी जबकि 13 समितियों में निर्दलीय उम्मीदवार कामयाब हुए।
मेरठ की 84 PACC समितियों में 5 पर अलग-अलग कारणों से चुनाव स्थगित करने पड़े। डीसीसीबी के चेयरमैन ने जानकारी दी कि बाकी बचे सीटों में से आधे से अधिक पर भाजपा ने जीत दर्ज की। कई सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध ही चुन लिए गए।बंदायू जिले की सभी 132 समितियों में भाजपा के उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की। इसी तरह लखीमपुर खीरी के 132 समितियों में से 2 समितियों के चुनाव रद्द कर दिए गए। 92 पर निर्विरोध चुनाव हुए जबकि बाकियों पर मुकाबला हुआ। जिले की ज्यादातर सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया।
बाराबंकी जिले के 123 समितियों में से 90 समितियों के चुनाव निर्विरोध संपन्न हुए। बाँदा जिले में भी ज्यादातर उम्मीदवार सर्वसम्मति से चुने गए। शाहजहाँपुर की 115 समितियों में से 111 पर बीजेपी उम्मीदवार सफल रहे। 3 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गईं। एक समिति का चुनाव रद्द कर दिया गया। अंबेडकरनगर की 90 समितियों में से 57 पर भाजपा की जीत हुई। यहाँ पिछली बार भाजपा सिर्फ 10 समितियों पर ही जीत सकी थी।
इस तरह प्रदेश भर के 7148 साख सहकारी समितियों में से 7000 समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर ज्यादातर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया। 6200 समितियों पर भाजपा के उम्मीदवार काबिज हुए जबकि समाजवादी पार्टी को सिर्फ 500 समितियों पर जीत के साथ ही संतोष करना पड़ा।