उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों में अभी समय शेष है। मगर 70 विधानसभा सीट वाले प्रदेश में केवल 11 विधायकों के साथ हाशिए पर खड़ी पार्टी कॉन्ग्रेस ने इसके लिए अपनी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। चुनावी रणनीतियों के मद्देनजर पिछले दिनों प्रदेश में नई टीम निर्मित की गई थी। साथ ही इस दौरान राज्य कार्यकारिणी का भी गठन हुआ था। लेकिन ये घोषणा सुनते ही पार्टी में बगावती सुर उठने लगे। नतीजतन कॉन्ग्रेस के धारचूला विधायक हरीश धामी ने सोमवार को नई कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया।
पार्टी से इस्तीफा देते हुए विधायक ने प्रतिपक्ष पर भी सरकार से साँठ-गाँठ के गम्भीर आरोप लगाए। धामी ने सोमवार को नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि वह विधायकों की बदौलत इस पद पर हैं। हम उनके रहमोकरम पर नहीं हैं। 11 में सात-आठ विधायक उन्हें पद से हटाने के लिए हाईकमान से बात करेंगे। उन्होंने पिछली कॉन्ग्रेस सरकार में उद्योग मंत्री डॉ इंदिरा हृदयेश पर सिडकुल मामले में गड़बड़ी करने और अपने पीआरओ को सिडकुल में अच्छे पद पर नियुक्ति देने का आरोप लगाया। उन्होंने इस प्रकरण की जाँच कराने की माँग की।
हरीश धामी ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ नेता और विधायक होने के बावजूद उनके साथ पार्टी में सौतेला व्यवहार किया गया। उन्होंने कहा, “मुझे जलील करने के लिए ये पद दिया गया था। इसकी वजह से प्रदेश सचिव पद से इस्तीफा दिया है।” उनके अनुसार जो वार्ड मेंबर का चुनाव नहीं जीत सकते, उन्हें कार्यकारिणी में जगह दी गई।
जानकारी के मुताबिक, नाराज होने की वजह से ही उन्होंने शनिवार को प्रदेश अध्यक्ष के फोन को रिसीव नहीं किया। उनके इस्तीफे पर हल्द्वानी में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश की टिप्पणी ने उनका पारा चढ़ा दिया।
गौरतलब है कि सोमवार को प्रदेश कॉन्ग्रेस की नई कार्यकारिणी की घोषणा के साथ ही उपजा विवाद सोमवार को और तूल पकड़ गया। नई कार्यकारिणी में प्रदेश सचिव पद से मिलने से खफा विधायक धामी प्रदेश कॉन्ग्रेस मुख्यालय राजीव भवन पहुँचे और वहाँ प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह की गैर मौजूदगी में उन्होंने उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना को प्रदेश सचिव पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया।
यहाँ, धस्माना ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष को ही इस्तीफा सौंपने का सुझाव दिया। बीते शनिवार को कार्यकारिणी घोषित होने पर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के खिलाफ तल्ख हरीश धामी के तेवर सोमवार को नरम पड़े।