Monday, November 18, 2024
Homeराजनीतिछत्तीसगढ़ CM पद की शपथ लेने से पहले जिनकी तस्वीर को विष्णुदेव साय ने...

छत्तीसगढ़ CM पद की शपथ लेने से पहले जिनकी तस्वीर को विष्णुदेव साय ने माथे से लगाया, कौन हैं वे दिलीप सिंह जूदेव

अपने राजनीतिक जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षण में साय जिस व्यक्ति की तस्वीर को अपने माथे से लगा रहे हैं, वे कोई और नहीं बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे दिलीप सिंह जूदेव हैं। जूदेव को साय का राजनीतिक गुरु कहा जाता है।

10 दिसंबर 2023। बीजेपी ने विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में चुना। उनके नाम की घोषणा के साथ ही सोशल मीडिया में एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें युवा साय के कंधे पर हाथ रखकर एक शख्स खड़ा है और दोनों मुस्कुरा रहे हैं।

13 दिसंबर 2023 को विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। उससे पहले उनका एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह उसी व्यक्ति की तस्वीर अपने माथे से लगाते दिख रहे हैं, जिसने वायरल तस्वीर में उनके कंधों पर हाथ खड़ा कर रखा था।

अपने राजनीतिक जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षण में साय जिस व्यक्ति की तस्वीर को अपने माथे से लगा रहे हैं, वे कोई और नहीं बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे दिलीप सिंह जूदेव हैं। जूदेव को साय का राजनीतिक गुरु कहा जाता है। कहा जाता है कि वे जूदेव ही थे, जिन्होंने 26 साल की उम्र में साय को विधायक बनवा दिया था। यह भी कहा जाता है कि कभी जूदेव ने युवा साय से यह भी कहा था कि वे एक दिन मुख्यमंत्री भी बनेंगे।

यही कारण है कि साय ने CM पद की शपथ लेने से पहले जशपुर राजपरिवार के सदस्यों से से मुलाकात की और इस दौरान स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव की तस्वीर को माथे से लगा लिया। इस दौरान जसपुर राजपरिवार की राजमाता माधवी देवी, स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव और उनके परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद थे।

कौन थे दिलीप सिंह जूदेव?

1949 में जशपुर राजपरिवार में जन्मे दिलीप सिंह जूदेव छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा नाम थे। उनकी पहचान जनजातीय समाज के उन लोगों का चरण पखार घर वापसी करवाने के लिए था जो ईसाई मिशनरियों की साजिशों का शिकार होकर धर्मांतरित हो गए थे। 2013 में अपने निधन से पहले तक दिलीप सिंह जूदेव ‘घर वापसी’ का यह अभियान चलाते रहे।

जूदेव का का मानना था कि एक बार जब कोई व्यक्ति ईसाई बन जाता है तो उसके मन में भारत माता के लिए वैसा प्रेम नहीं रह जाता। ऐसे में इन लोगों को तोड़ना बहुत आसान हो जाता है। उनका मानना था कि ईसाई मिशनरियों की धर्मांतरण की साजिशें भारत को विखंडित करने की साजिशों का हिस्सा है।

दिलीप सिंह जूदेव ने 2009 में एक इंटरव्यू में कहा था, “मैं दुनिया घूम चूका हूँ। मुझे पता है ईसाई मिशनरियाँ धर्मांतरण के लिए क्या तरीके अपनाती हैं। ये सिर्फ धर्मांतरण नहीं है, ये देश का चरित्र बदल सकता है। यहाँ मंदिरों के बगल में चर्च के ऊपर क्रॉस लगाया गया है। क्या हम वेटिकन में हनुमान मंदिर बना सकते हैं? मैं ईसाइयों के विरुद्ध नहीं हूँ, लेकिन धर्मान्तरण के विरुद्ध हूँ।”

जूदेव का विष्णु देव साय से कैसा रिश्ता?

छत्तीसगढ़ के नए CM विष्णु देव साय कुनकुरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने हैं। यह क्षेत्र जशपुर से सटा है। विष्णु देव साय और दिलीप सिंह जूदेव का साथ 1990 के दशक से चालू हुआ था। दिलीप सिंह जूदेव तब अविभाजित मध्य प्रदेश में भाजपा का बड़ा नाम हुआ करते थे। विष्णु देव साय 1989 में ग्राम पंचायत बगिया से सरपंच चुने गए थे।

यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। जूदेव, साय के सरपंच रहते ही उनसे मिले थे और उनके काम से प्रभावित थे। इसके बाद जूदेव ने साय को आगे बढ़ाया। विष्णु देव साय इसके बाद जूदेव के आशीर्वाद से अविभाजित मध्य प्रदेश की तपकरा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद 1999 में विष्णु देव साय लोकसभा पहुँचे। वे चार बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। जूदेव और साय साथ मिलकर इस इलाके में ईसाई मिशनरियों के दुष्प्रचार के विरुद्ध काम करते थे।

अब बेटे प्रबल प्रताप बढ़ा रहे दिलीप सिंह जूदेव का अभियान

दिलीप सिंह जूदेव का वर्ष 2013 में निधन हो गया था। उनके तीन बेटे- श्रुतान्जय सिंह जूदेव, युद्धवीर सिंह जूदेव और प्रबल प्रताप सिंह जूदेव हैं। इनमें से श्रुतान्जय और युद्धवीर सिंह की मृत्यु हो चुकी है।

अब उनके बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव घर वापसी के अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। इस बार बीजेपी ने उन्हें मुश्किल माने जाने वाली कोटा सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा था। लेकिन प्रबल प्रताप यह सीट नहीं जीत पाए। प्रबल प्रताप सिंह जूदेव अब तक छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में 10,000 से अधिक हिन्दुओं की घर वापसी करवा चुके हैं। वर्ष 2021 में प्रबल प्रताप सिंह जूदेव का ऑपइंडिया से बातचीत की थी।

उन्होंने तब अपने पिता और घर वापसी के विषय में कहा था, “पिता जी के दिवंगत होने के बाद से मैं इस कार्य को आगे बढ़ा रहा हूँ। छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में हमलोग 10 हजार से अधिक लोगों की इस तरह के कार्यक्रमों के जरिए घर वापसी करवा चुके हैं। कोरोना महामारी के कारण बीच में करीब दो साल हमारा यह अभियान रुक गया था। अब फिर से हम इसे गति दे रहे हैं। यह पवित्र काम है। देश निर्माण का काम है। इसे मेरे पिता ने शुरू किया और इससे जुड़कर मैं बहुत गौरवान्वित हूँ।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अर्पित त्रिपाठी
अर्पित त्रिपाठीhttps://hindi.opindia.com/
अवध से बाहर निकला यात्री...

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -