दिल्ली चुनावों में आम आदमी पार्टी ने स्वास्थ्य के मुद्दे को भुनाने की कोशिश की है। इसके लिए ‘मोहल्ला क्लिनिक’ को एक क्रांतिकारी योजना बताकर दिल्ली की जनता को समझाया जा रहा है कि केजरीवाल सरकार की इस योजना की तारीफ केवल देश के अलग-अलग राज्यो में ही नहीं, बल्कि विश्व का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी इसकी सराहना करता है और इससे सीखना चाहता है।
I am disglusted with the dishonesty of ads by Delhis chief minister @ArvindKejriwal. Misrepresent my @washingtonpost article about @HealthCube360 and make false claims about the Mohalla/Peoples clinics.
— Vivek Wadhwa (@wadhwa) February 7, 2020
I was clearly lied to by his health minister: https://t.co/S3k1InVCcw https://t.co/wmlb1hm6lz
जी हाँ। सोशल मीडिया पर कल आम आदमी पार्टी के ट्विटर अकॉउंट से एक वीडियो शेयर की गई है। इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि पहले लोग कहते थे अमरीका से सीखो, लेकिन अब अमरीका वाले कहते हैं भारत से सीखो, दिल्ली से सीखो, केजरीवाल सरकार से सीखो। अपनी बात प्रमाणित करने के लिए इस वीडियो में ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ अखबार का एक स्क्रीनशॉट भी लगाया गया है।
आम आदमी पार्टी द्वारा यह वीडियो शेयर किए जाने के बाद वॉशिंगटन पोस्ट पर यह लेख लिखने वाले लेखक ने खुद सोशल मीडिया पर इस ट्वीट को शेयर करते हुए केजरीवाल सरकार के झूठ का पर्दाफाश किया। उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा शेयर विज्ञापन को बेईमानी बताया और कहा कि उनके पोस्ट को गलत तरह से पेश किया गया साथ ही, मोहल्ला क्लिनिक को लेकर गलत दावे किए गए। विवेक वाधवा का कहना है कि आम आदमी पार्टी के स्वास्थ्य मंत्री ने उनसे इस मामले में साफ झूठ बोला।
इस वीडियो में कुल मिलाकर केजरीवाल सरकार द्वारा ‘बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा के नाम’ शुरू किए गए मोहल्ला क्लिनिक का गुणगान है। जिसमें दावा किया जा रहा है कि इस योजना के शुरू होने के बाद से दिल्ली में करीब 2 करोड़ लोगों ने इसका फायदा उठाया और इसी प्रोग्राम से अमेरिका को सीखना चाहिए। लेकिन अब इसका सच क्या है, इसे जानें –
वॉशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार के अनुसार, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने मोहल्ला क्लिनिक को लेकर उनसे कहा था कि इस प्रोग्राम से न केवल लोगों की पीड़ा कम होगी, बल्कि बीमारी का इलाज कराए जाने वाले खर्चे में भी कमी आएगी। लोगों को इसके जरिए टाइमली केयर मिलेगी और अस्पतालों के इमरजेंसी कमरों का बोझा भी कम होगा।
अब जाहिर है, ये स्वास्थ्य सुविधाएँ देने के बारे में ये सभी बातें आदर्श मानी जा सकती हैं। कोई भी इनसे प्रभावित होगा। लेकिन, ये ध्यान देने वाली बात है कि चूँकि केजरीवाल सरकार ने ही ये प्रोग्राम चालू किया, तो उन्होंने और उनके नेताओं ने इससे होने वाले अलग-अलग फायदों का वैश्विक स्तर पर दावा किया। लेकिन क्या ये दावे सच हुए? सवाल उठता है कि क्या वाकई मोहल्ला क्लिनिक में वही सब होता है, जिसके कारण वॉशिंगपोस्ट उनकी तारीफ कर रहा है। तो निष्कर्ष में जवाब होगा- नहीं। क्योंकि, अगर केंद्रीय सतर्कता आयोग की रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो मालूम होगा कि सत्येंद्र जैन ने केवल अपनी वाह-वाही के लिए ही वॉशिंगटन पोस्ट से सिर्फ़ झूठ बोला। जबकि वास्तविकता में मोहल्ला क्लिनिक दिल्ली में स्वास्थ्य दिशा में कोई क्रांति लेकर नहीं आया।
डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने कुछ दिन पहले ये बात सार्वजनिक की थी कि उनके पास मोहल्ला क्लिनिक को लेकर शिकायतें आ रही हैं। जिनमें दावा किया जा रहा है कि मोहल्ला क्लिनिक में काम करने वाले डॉक्टर केवल 4 घंटों में 533 मरीजों को देखते हैं। यानी, गणित के मुताबिक जोड़ा जाए तो एक मरीज को केवल 36 सेकेंड दिए जाते हैं। क्या इसे मरीजों की टाइमली केयर कहते हैं?
इन शिकायतों पर जब विभाग ने अपनी पड़ताल की, तो खुलासा हुआ कि यहाँ मरीजों के नाम की फर्जी एंट्री होती है। साथ ही मरीजों को क्लिनिक पर दोबारा बुलाने के लिए उनका पहली बार में उचित उपचार नहीं किया जाता। ऐसा इसलिए, ताकि डॉक्टर अपना 4 लाख प्रति महीने से भी ज्यादा अपनी आय बना सकें। जो कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की आय से भी ज्यादा है। इसके अलावा बता दें मोहल्ला क्लिनिक को लेकर मरीजों की शिकायत अक्सर रहती है कि वहाँ दवाइयाँ भी सही मात्रा में उपलब्ध नहीं होतीं।
गौरतलब है कि दिल्ली चुनावों के मद्देनजर आम आदमी पार्टी द्वारा तरह-तरह के हथकंडे इस्तेमाल करके दिल्ली की जनता को लुभाने की कोशिश हो रही है। पोस्टर हो, पैम्लेफ़ट हो, अखबार हो, एसएमएस हो, या फिर सोशल मीडिया पर वीडियो के रूप में वायरल होता केजरीवाल सरकार का रिपोर्ट कार्ड; हर मुमकिन तरह से आम आदमी पार्टी अपने किए कामों को जनता को दिखाकर वोट माँग रही हैं। हालाँकि, ये काम बाकी पार्टियाँ भी कर रही हैं। लेकिन आम आदमी के इस प्रचार-प्रसार में झूठ का घाल-मेल ज्यादा है। इसलिए सोशल मीडिया पर सक्रिय यूजर उन्हें लगातार ट्रोल कर रहे हैं। उसकी मंशा पर सवाल उठा रहे हैं, उनके झूठे दावों को सबूतों से खारिज कर रहे हैं।
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