चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात रहा है। राज्य से बमबाजी की घटनाएँ भी लगातार सामने आती रहती है। राजनीतिक विरोधियों को आतंकित करने के लिए चुनाव के वक्त ऐसी घटनाएँ और तेज हो जाती हैं। पिछले दिनों ही बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह के घर के बाहर बम फेंके गए थे। उन्होंने तृणमूल कॉन्ग्रेस के गुंडों को इसका जिम्मेदार बताया था।
असमाजिक तत्वों और गैर कानूनी तरीके से बम बनाने वालों को राजनीतिक संरक्षण मिलने के आरोप इससे पहले भी राज्य में लगते रहे हैं। यहाँ तक की बम धमाकों के मामलों की जाँच कर रही राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) को इस तरह की घटनाओं में पाकिस्तानी आतंकी संगठन अल-कायदा की संलिप्तता भी मिली है।
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से पहले सुरक्षा बल अवैध हथियार फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की योजना बना रहे हैं। सीआरपीएफ (CRPF) के डीजी कुलदीप सिंह के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि चुनाव के दौरान लोगों को आतंकित करने के इरादे से पश्चिम बंगाल में गैर कानूनी तरीके से बम बनाए जाते हैं।
West Bengal’s bomb culture.
— News18 (@CNNnews18) March 18, 2021
Bengal’s saga of blood & violence.
NIA points to terror groups in the state.@Arunima24 brings you a report.
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न्यूज 18 से बात करते हुए सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि पेट्रोल बम, सुतली बम जैसे अलग-अलग तरह के बम बंगाल में चुनाव के समय बनाए जाते हैं। जिन जगहों पर अवैध हथियार बनाए और रखे जाते हैं, वहाँ कार्रवाई कर और ऐसा करने वाले लोगों पर शिकंजा कर इस तरह की घटनाओं की आशंका कम की जा सकती है।
बर्दवान ब्लास्ट में बांग्लादेशी आतंकी को हुई थी 29 साल की सजा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बंगाल में साल 2014 में हुए बर्दवान ब्लास्ट की जाँच में NIA को सीमा पार से जुड़े आतंकी लिंक मिले थे। एनआईए की विशेष अदालत ने बांग्लादेशी नागरिक और आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन के प्रमुख कौसर को बर्दवान बम विस्फोट में शामिल होने के आरोप में 29 साल की सजा सुनाई थी।
कौसर पर भारत और बांग्लादेश की लोकतांत्रिक रूप से स्थापित सरकारों के खिलाफ आतंकवादी कार्रवाई करने, युद्ध छेड़ने, युवकों को भर्ती करने और प्रशिक्षित करने का प्रयास करने का आरोप था। अल-कायदा मॉड्यूल मामले में भी, एनआईए ने पश्चिम बंगाल और केरल से गिरफ्तार हुए 9 लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था।
पिछले महीने की बात करें तो राज्य श्रम मंत्री जाकिर हुसैन पर भी तब देशी बम फेंका गया, जब वह ट्रेन पर चढ़ने के लिए निमिता रेलवे स्टेशन की ओर जा रहे थे। इस मामले की जाँच केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई है। इसमें कुल 20 लोग घायल हुए थे।
अब इन्हीं राजनीतिक हिंसा के इतिहास को देखते हुए राज्य में 8 चरणों में चुनाव करवाए जा रहे हैं। यहाँ शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से चुनाव कराना सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती है, क्योंकि पहले चरण के चुनाव शुरू होने से पहले ही हिंसा की घटनाएँ होने लगी हैं।