लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार चुनाव है, लेकिन पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए यह अभिशाप बन गया है। बंगाल में हर चुनाव के बाद राजनैतिक हत्या का सिलसिला शुरू हो जाता है। लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव खत्म होने के बाद एक बार फिर ऐसे ही आरोप लगाए जा रहे हैं। बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार में राज्य में कई जगहों पर मौत का तांडव हो रहा है।
राज्यपाल बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर संविधान की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार हिंसा के शिकार लोगों को राजभवन नहीं आने दे रही है। दरअसल, गुरुवार (13 जून) को पुलिस ने भाजपा नेता एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी और हिंसा के पीड़ितों को राजभवन जाने से रोक दिया था। पुलिस ने तर्क दिया था कि राजभवन के आसपास धारा 144 लागू है।
इसके बाद राज्यपाल बोस ने शुक्रवार (14 जून) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मैंने इन सभी लोगों को राजभवन आने और मुझसे मिलने की लिखित इजाजत दी थी। इसके बावजूद उन्हें राजभवन आने से रोका गया। मैं ये जानकर स्तब्ध हूँ कि कुछ कारण बताकर इन सभी लोगों को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करने से रोका गया।”
राज्यपाल ने आगे कहा, “मुख्यमंत्री संवैधानिक नियमों का उल्लंघन कर सकती हैं। मैं यह सुनिश्चित करूँगा कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करे। राज्य में मौत का तांडव हो रहा है। पंचायत चुनावों के दौरान मैंने अपनी आँखों से ये सब देखा है। मैं राज्य में कई जगह गया था। इन चुनावों में भी हिंसा, हत्या, डराने-धमकाने के कई मामले सामने आए हैं।”
वहीं, शुक्रवार को पीड़ितों से मिलने के बाद राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने पीड़ितों की बात सुनी। गवर्नर होने के नाते वे निष्पक्ष होना चाहता हैं। इसलिए उन्होंने राज्य सरकार से भी रिपोर्ट माँगी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद वे अपनी राय देंगे। उन्होंने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर पूछा है कि इजाजत दिए जाने के बावजूद पुलिस ने किस आधार पर पीड़ितों को राजभवन आने से रोका।
संविधान की बात करते हुए गवर्नर सीवी आनंद बोस ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 167 के मुताबिक किसी मुख्यमंत्री के लिए यह जरूरी है कि जब भी उनसे रिपोर्ट या जानकारी माँगी जाए तो वे दें। संविधान में यह भी लिखा है कि गवर्नर को यह अधिकार और कर्तव्य है कि वे मुख्यमंत्री को बताएँ कि कौन-सा मुद्दा मंत्रिमंडल के सामने रखना है।
वहीं, भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति ने पुलिस के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि अगर राजभवन की तरफ से इजाजत मिलती है तो सुवेंदु अधिकारी और हिंसा पीड़ित लोग गवर्नर से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। जस्टिस अमृता सिन्हा बंगाल सरकार से पूछा कि क्या गवर्नर को हाउस अरेस्ट में रखा गया है।