ऑपइंडिया को पश्चिम बंगाल सरकार के सूत्रों से बड़ी जानकारी मिली है। राज्य प्रशासन के सूत्रों से पता चला है कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने बड़ी संख्या में सोशल मीडिया पोस्ट्स को ब्लॉक करने की सिफारिश की। इसके लिए ‘इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000’ की धारा-69A का सहारा लिया गया है। फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर ऐसे 200 पोस्ट्स के खिलाफ कार्रवाई को कहा गया है।
बता दें कि आईटी अधिनियम की धारा 69 (ए) सरकार को उन पोस्ट और अकाउंट्स के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति देती है, जो सार्वजनिक व्यवस्था या भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध के हित के लिए खतरा बन सकते हैं। सूत्रों की मानें तो तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की सरकार ने इन पोस्ट्स को राज्य में कानून-व्यवस्था के खिलाफ बताया है।
सूत्रों से ये भी पता चला है कि ये पोस्ट्स मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना में लिखे गए थे। साथ ही इनमें राज्य में लगातार हो रही भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर सरकार को घेरा गया था। सरकार ने दावा किया है कि इनमें से कई पोस्ट्स ऐसे भी हैं, जो सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील थे क्योंकि इनमें हिन्दू देवी-देवताओं या इस्लाम मजहब को लेकर आपत्तिजनक कंटेंट्स थे। सरकार का कहना है कि इनसे दंगे भड़कने की आशंका थी।
बताया गया है कि राज्य सरकार ने केंद्र के पास ये सिफारिश भेजी थी। हालाँकि, केंद्र सरकार ने इनमें से दो तिहाई सोशल मीडिया पोस्ट्स को ही ब्लॉक किए जाने के लिए आगे बढ़ाया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनमें से एक तिहाई पोस्ट्स ऐसे हैं, जो विशुद्ध रूप से राजनीतिक आलोचना की श्रेणी में आते हैं। राजनीतिक आलोचनाओं को राज्य की कानून-व्यवस्था में अड़ंगा बता कर उन्हें ब्लॉक करने की सिफारिश नहीं की जा सकती है।
#NewsAlert | West Bengal CM @MamataOfficial hits out at Centre. ‘They can’t control Twitter, so they want to bulldoze it. They can’t control me, so they want to bulldoze me and my party’.
— TIMES NOW (@TimesNow) June 17, 2021
Details by Tamal Saha. pic.twitter.com/5xy4BoOopl
जहाँ एक तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार पर ट्विटर को दबाने का आरोप लगा रही हैं और ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ की बातें कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ सूत्रों की मानें तो वो खुद ऐसे सोशल मीडिया पोस्ट्स को ब्लॉक करने के लिए भेज रही हैं, जिनमें राजनीतिक आलोचना की गई है। बता दें कि ट्विटर बार-बार कहने के बावजूद नए आईटी नियमों को लेकर ढील बरत रहा है, जिसके बाद सरकार ने उसे चेताने के बाद कार्रवाई भी की है।
हाल ही में गाजियाबाद में जब एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई और दाढ़ी काटने की घटना सामने आई तो इसमें ‘जबरन जय श्री राम बुलवाने’ वाला एंगल ठूँस कर इसे सांप्रदायिक बनाने के लिए भी ट्विटर और फेसबुक का ही सहारा लिया गया। इसके लिए लोनी थाणे में ट्विटर के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है। इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने इस कंटेंट का फैक्ट-चेक करने की कोशिश नहीं की और झूठा नैरेटिव फैलने दिया।