पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष 26 अगस्त को सीबीआई के सामने पेश हुए। जॉंच एजेंसी ने उनसे करोड़ों रुपए के शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर सवाल-जवाब किए।
करीब एक महीने पहले चिटफंड घोटाले के आरोपित कुणाल घोष आधिकारिक तौर पर टीएमसी में शामिल हुए थे। उन्हें पार्टी का प्रवक्ता भी नियुक्त किया गया था।
घोष को करीब सात साल पहले टीएमसी ने निलंबित कर दिया था। वे शारदा चिट फंड मामले में फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। साल 2014 में कुणाल घोष ने आधिकारिक रूप से दावा किया था कि शारदा पंजी योजना में ममता बनर्जी को सबसे ज्यादा फ़ायदा मिला था। इसके अलावा कुणाल ने उन्हें सार्वजनिक तौर पर ‘कायर’ कहा था। साल 2019 में कोलकाता के पूर्व मंडलायुक्त राजीव कुमार ने शिलोंग में कुणाल से इस घोटाले को लेकर पूछताछ की थी।
हाल ही में कुणाल घोष को सीबीआई ने पूछताछ के लिए समन भेजा था। केंद्रीय जाँच एजेंसी की आर्थिक शाखा लगभग सभी चिट फंड घोटाले के मामलों की जाँच कर रही है। इसमें शारदा, नरदा, रोज़वैली, आईकोर, प्रयाग समेत कई मामले शामिल हैं। हैरानी की बात यह भी है कि इन सभी मामलों लगाए गए आरोपों का सीधा संबंध बंगाल के सत्ताधारी दल से है।