बिहार के विपक्षी दल लगातार ये माहौल बना रहे हैं कि बिहार को ‘विशेष राज्य’ का दर्जा न देकर मोदी सरकार ने राज्य के साथ अन्याय किया है। हालाँकि, इस दौरान ये बिहार को मिलने वाले विशेष पैकेज वाली खबर को छिपा लेते हैं। बिहार ही नहीं, बल्कि किसी भी राज्य को ‘विशेष राज्य’ का दर्जा नहीं दिया गया है। 1969 में ‘राष्ट्रीय विकास परिषद’ की बैठक में पहली बार इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। DR गाडगीळ कमिटी तब राज्यों को केंद्रीय सहायता के लिए फॉर्मूला लेकर आई।
बता दें कि संसद में दिए गए ताज़ा जानकारी में मोदी सरकार ने बताया है कि राज्यों को विशेष सहायता देने के लिए 2020-21 में लॉन्च किया गया था, और इसे 2022-23 में भी जारी रखा गया। ये स्किम कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए थी, इसके बाद 2022-23 में कैपिटल इन्वेस्टमेंट के लिए योजना लाई गई, जिसे 2024-25 में भी लागू रखा जा रहा है। बिहार को अब तक इसके तहत 19,359 करोड़ रुपए की सहायता दी जा चुकी है। 2024-25 में बिहार के लिए अभी फंड्स जारी किया जाना बाकी है।
अमित मालवीय ने भी 1969 के फैसले का जिक्र करते हुए बताया है कि उस समय राज्यों को फंड्स देने के लिए कोई विशेष फॉर्मूला नहीं था, स्कीम के हिसाब से फंड दिए जाते थे। NDC ने तब चर्चा के आधार पर असम, जम्मू कश्मीर और नागालैंड को ‘विशेष राज्य’ का दर्जा दिया गया। 1969 में पाँचवे वित्त आयोग ने ‘विशेष राज्य’ वाला फॉर्मूला तय किया। इससे जो राज्य पिछड़े थे, उन्हें सहायता मिली। 2014-15 में ‘विशेष दर्जा’ प्राप्त 11 राज्य थे, जिन्हें विभिन्न योजनाओं के तहत सहायता दी गई।
The Special Category Status issue was first addressed in the National Development Council (NDC) meeting in 1969. During this meeting, the D R Gadgil Committee introduced a formula to allocate Central Assistance for state plans in India. Prior to this, there was no specific… pic.twitter.com/3q4zGbzF1k
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 22, 2024
जब नीति आयोग का गठन हुआ, उसके बाद से इन राज्यों को मिलने वाली सहायता को 32% से बढ़ा कर 42% कर दिया गया। 2015 से प्रभावी 14वें वित्त आयोग ने साझा करों के क्षैतिज वितरण में सामान्य श्रेणी और विशेष श्रेणी के राज्यों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया। राज्यों के लिए शुद्ध साझा करों का हिस्सा 2015-2020 की अवधि के लिए 32% से बढ़ाकर 42% कर दिया गया। 15वें वित्त आयोग ने 2020-2021 और 2021-2026 की अवधि के लिए इस दर को 41% पर बनाए रखा, जिसमें जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के निर्माण के कारण 1% समायोजन किया गया।
इस समायोजन का उद्देश्य कर हस्तांतरण के माध्यम से प्रत्येक राज्य के संसाधन अंतर को संबोधित करना था, जिसमें कर हस्तांतरण के बाद राजस्व घाटा अनुदान प्रदान किया गया था, जहाँ अकेले कर हस्तांतरण से निर्धारित अंतर को कवर नहीं किया जा सकता था। बिहार ही नहीं, किसी भी राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जाने वाला है।