शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने माँग की है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को 1991 में मरणोपरांत दिया गया ‘भारत रत्न’ तत्काल वापस लिया जाए। शुक्रवार (दिसंबर 6, 2019) को चंडीगढ़ में मीडिया से बात करते हुए बादल ने कहा कि नए खुलासे से साफ हो जाता है कि राजीव गाँधी ने नरसंहार को रोकने के लिए सेना को इजाजत नहीं दी थी। उन्होंने राजधानी दिल्ली में सिखों के नरसंहार को रोकने के लिए सेना की तैनाती नहीं होने दी थी क्योंकि इस नृशंस घटना के पीछे उनके परिवार का हाथ था।
सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का बयान भी इस आरोप की पुष्टि करता है कि अगर राजीव गाँधी ने कॉन्ग्रेस नेताओं के नेतृत्व में किए जा रहे दंगे को रोकने के लिए सेना को बुलाने की अपील पर ध्यान दिया होता तो 1984 के सिख नरसंहार को रोका जा सकता था। दंगाई सिखों और उनकी संपत्ति को निशाना बना रहे थे। बादल ने कहा कि मनमोहन सिंह के बयान के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड से भी साबित होता है कि राजीव गाँधी की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में सेना को नहीं बुलाने का निर्णय लिया गया था।
Withdraw Bharat Ratna conferred on Rajiv Gandhi: Sukhbir Singh Badal
— ANI Digital (@ani_digital) December 6, 2019
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उन्होंने आगे कहा, “पूरा सिख समुदाय इस बात से आक्रोशित है कि एक व्यक्ति, जिसने हजारों सिखों के दमन की योजना बनाई और उसकी देखरेख में इसे रोकने की अपील को नजरअंदाज किया गया, उसे देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार दे दिया गया। इस अन्याय को सुधारा जाना चाहिए। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करता हूँ कि राजीव गाँधी से तत्काल इस सम्मान को वापस लिया जाए।”
सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि राजीव गाँधी और उन सभी लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया जाना चाहिए, जिन्होंने कॉन्ग्रेस के गुंडों द्वारा लूटमार को रोकने के लिए सेना को दिल्ली में आने से रोका था। राजनीतिक नेताओं और उन अफसरों को, जो इस अपराध के लिए जिम्मेदार हैं, को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इससे भविष्य की पीढ़ी के सामने ऐसी बर्बरता करने वालों के प्रति सबक पेश किया जा सकेगा।
इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से सड़कों, संस्थाओं और योजनाओं आदि से राजीव गाँधी का नाम हटाने की माँग करते हुए कहा कि सभी सड़कों, एयरपोर्ट्स, संस्थाओं और सरकारी योजनाओं से राजीव गाँधी का नाम तत्काल हटाया जाए।
उनका कहना है कि देश किसी ऐसे व्यक्ति का सम्मान नहीं कर सकता जिसने कसाई का काम किया है। उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह और शहीद उधम सिंह जैसे शहीदों को सम्मानित करने के लिए सभी स्थलों और योजनाओं का नाम बदला जा सकता है, जो इस सम्मान के वास्तव में हकदार हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी कदम सिख समुदाय की भावनाओं के अनुरूप हैं और 1984 के नरसंहार के पीड़ितों की पीड़ा को कम करने में मददगार होंगे।
इस दौरान उन्होंने पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आखिर क्यों वो अभी तक इस मामले पर चुप हैं और गाँधी परिवार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जबिक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान से खुलासा हो गया है कि कॉन्ग्रेसी गुंडों के नेतृत्व में किए जा रहे नरसंहार को रोकने के लिए राजीव गाँधी ने सेना को इजाजत नहीं दी थी। आगे बादल ने अमरिंदर सिंह को निशाने पर लेते हुए कहा, “यह दिखाता है कि आपके लिए गाँधी परिवार की गुड बुक्स में रहना और अपनी कुर्सी को बचाना, अपने समुदाय के साथ खड़े होने और इसके खिलाफ नरसंहार करने वालों के लिए कठोर सजा की माँग करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है।”