Sunday, November 17, 2024
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अल्लाहु अकबर के नारे और जान बचाने के लिए जहर पीने को तैयार हिंदू: CM योगी ने यूॅं ही नहीं कहा- कभी मजहबी दंगों में झुलसता था मेरठ

"कोई पैदल भाग रहा था, कोई साईकल पर, तो कोई स्कूटर पर भाग रहा था। वे बता रहे थे कि मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया है और उनके घरों में जलते टायर फेंक रहे हैं। भीड़ ने हापुड़ रोड पर एक पेट्रोल पंप भी जला दिया था।"

10 फरवरी 2022 को पहले चरण में उत्तर प्रदेश की जिन विधानसभा सीटों (UP Election 2022) पर वोट डलेंगे, उनमें मेरठ जिले की 7 सीटें भी हैं। शुक्रवार (28 जनवरी 2022) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने मेरठ में घर-घर जनसंपर्क अभियान चलाया। इस दौरान उन्होंने अपनी सरकार के दौरान मेरठ में विकास कार्यों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे सपा शासनकाल में अपराधी थाने चलाते थे। कैसे मेरठ मजहबी दंगों की वजह से बदनाम था।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “मेरठ 5 वर्ष पूर्व मजहबी दंगों की आग में झुलसता था। कर्फ्यू के कारण लोग घरों में कैद रहने को विवश थे। आज यहाँ समृद्धि के नए मानक स्थापित हो रहे हैं। बेटियाँ सुरक्षित हैं और मातृशक्ति का सम्मान है। रंगदारी माँगने वाले अब जान की भीख माँग रहे हैं। फर्क साफ है…।”

CM योगी ने जो कुछ कहा असल में कुछ साल पहले तक मेरठ की जमीनी हकीकत यही थी। यहाँ कई बड़े दंगे हुए। इसमें से 1987 में हुए दंगे के जख्म आज भी लोगों को सिहरन देते हैं। 2019 में उसी समय की एक घटना का जिक्र करते हुए विनरीश (Vinirish) ने एक ब्लॉग में अपनी आपबीती लिखी थी। मेरठ में पली-बढ़ी विनरीश ने बताया था कि पश्चिम यूपी के इस शहर में 70-80 के दशक में लोगों की ज़िंदगी काफी नीरस हुआ करती थी। साम्प्रदायिक दंगों के साथ ही लोग पलते-बढ़ते थे। लेकिन 87 से पहले दंगे अमूमन मध्यम वर्गीय परिवार की मौजूदगी से दूर दूसरे तबके में होते थे।

मेरठ की उस समय की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा था, “शास्त्री नगर के हिंदू बहुल मध्यवर्गीय कॉलोनी में सुबह-सुबह का समय था। 1987 की गर्मी के मौसम में सुबह में अचानक से दूर-दूर तक अल्लाहु अकबर के नारे गूँजने लगे और धुएँ के काले बादल आकाश पर छा गए। इससे पहले कि हम कुछ जान पाते कि मामला क्या है, हापुड़ रोड (अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र) के बगल में शास्त्री नगर (एक हिंदू बहुल कॉलोनी) के बाहरी इलाके में रहने वाले अधिकतर लोग अचानक से भागने लगे। कोई पैदल भाग रहा था, कोई साईकल पर, तो कोई स्कूटर पर भाग रहा था। वे बता रहे थे कि मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया है और उनके घरों में जलते टायर फेंक रहे हैं। भीड़ ने हापुड़ रोड पर एक पेट्रोल पंप भी जला दिया था।”

उन्होंने लिखा, “हम लोगों ने छत पर जाकर देखा, एक भीड़ जली हुई टायर फेंकते हुए और ‘अल्लाहु अकबर’ का नारा लगाते हुए मेन रोड की तरफ जा रही थी। मुझे याद है कि मेरे पिता, जो कि एक समर्पित कम्युनिस्ट थे, उन्होंने हॉकी स्टिक उठाकर मेरे छोटे भाई को कॉलोनी की सुरक्षा करने के लिए कहा। सुबह-सुबह आस-पास के गाँवों से दूधवाले साइकिल से आ रहे थे। जब उन्होंने भीड़ को देखा, तो वो भाग गए और देशी कट्टा (बंदूकें) लेकर लौटे और हर-हर महादेव के नारों के साथ भीड़ का सामना करना शुरू कर दिया।”

यह घटना जब हुई थी तब मेरठ की सांसद कॉन्ग्रेस की मोहसिना किदवई थीं। विनरीश के अनुसार उनकी दादी भी एक कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता थीं, लेकिन उनकी मदद करने वाला उस समय कोई नहीं था। उनके एक चाचा मदद के लिए पुलिस चौकी गए तो पता चला कि वहॉं कोई जवान मौजूद ही नहीं है। सभी पुलिसकर्मी किसानों की रैली से निपटने के लिए दिल्ली भेज दिए गए थे।

विनरीश ने लिखा था, “अचानक हमें एहसास हुआ कि हम असहाय और बेहद असुरक्षित थे। हमारे पास हॉकी स्टिक्स, लाठियों और किचेन में इस्तेमाल की जाने वाली चाकू के अलावा अन्य कोई हथियार नहीं था। इस बीच गाँव वालों ने भीड़ को किसी तरह हटा दिया था। चूँकि, कॉलोनी नई थी, चारों तरफ खुला मैदान था, तो हमले हर तरफ से हो रहे थे। मैं उस आतंक, विश्वासघात और उस बेबसी वाले अनुभव को कभी नहीं भूल सकती। राजीव गाँधी पीएम थे। वह एक युवा आइकन थे। ये सब कैसे हो रहा था? पुलिस कहाँ थी? सांसद कहाँ थे? आखिर, हमें असुरक्षित क्यों छोड़ दिया गया?”

लेख में उन्होंने बताया था कि ऐसा हफ्तों तक चलता रहा था। कर्फ्यू लगा दिया गया था। रमजान का महीना चल रहा था और लोग पूरी रात घर के बाहर पहरा देते रहे। देर रात तक पार्क में महिलाओं का जमघट लगा रहता और फिर लोग ऊपर के घरों में सोने चले जाते, जिसे सुरक्षित माना जाता था। उन्होंने लिखा था, “हमने सोच लिया था कि अगर हमारी कॉलोनी खत्म हो गई, तो हम चूहे मारने वाला जहर पी लेंगे। हमने ईंटें एकत्रित कीं और इसे छत पर रखा, ताकि अगर हम पर हमला किया जाता है, तो इससे अपनी रक्षा कर सकें। रात में किसी भी तरह की भीड़ के हमले की आवाज़ सुनने पर काफी डर लगता था।”

उस समय के माहौल का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा था, “सुबह में पास की मस्जिद से ड्रम बजने की आवाजें आती थीं। फिर लाउडस्पीकर पर नारे लगाए जाते थे। हिंसा की धमकियों के बाद पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाते। हमें डराया जाता था कि बकरों की जगह हिंदुओं की कुर्बानी दी जाएगी। इस बीच कई अफवाहें, झूठी खबर भी फैलाई गई। किसी ने कहा कि समुदाय विशेष वाले ने चंडी माता मंदिर को तोड़ दिया। फिर उन्होंने उन हिंदू इलाकों के बारे में भी बताया, जिन पर उन लोगों ने हमला किया था और उनमें कितने लोग मारे गए थे। इस तरह की घोषणा हमें डराने के लिए, हमारे अंदर खौफ पैदा करने के लिए किया जा रहा था।”

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने एक्सप्रेसवे का निर्माण कर 4 घंटे की दिल्ली-मेरठ की दूरी को ही 40 मिनट में ही नहीं समेटा, हिंदुओं को उस खौफ से भी आजादी दिलाई है जिससे विनरीश जैसी महिलाओं को गुजरना पड़ा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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