देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इस बीच राज्य में पंचायत चुनाव कराने के योगी सरकार के फैसले की आलोचना का सरकार ने जवाब दिया है। इस फैसले को लेकर योगी सरकार ने कहा है कि वो महामारी के मद्देनजर राज्य में चुनाव नहीं कराना चाहती है, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के चलते ये करना पड़ रहा है।
यूपी सरकार के खिलाफ विनोद उपाध्याय ने याचिका दायर की थी, इस पर हाई कोर्ट ने 4 फरवरी 2021 को राज्य चुनाव आयोग को 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव को कराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने राज्य को बीते 15 अप्रैल तक आवंटन और आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करने को कहा था।
योगी सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि कोर्ट के आदेश के कारण ही महामारी के बीच चुनाव कराने का फैसला लेना पड़ा। ताकि इसे 10 मई तक पूरा किया जा सके। पिछले साल दिसंबर में ही चुनाव होने थे, कोरोना कारण पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन में देरी हुई। लेकिन, कोर्ट के आदेश ने चुनाव के लिए बाध्य कर दिया।
15 अप्रैल से शुरू हुआ था चुनाव
उत्तर प्रदेश में 15 अप्रैल से पंचायत इलेक्शन शुरू हुए थे, जिसके रिजल्ट 2 मई को आएँगे। राज्य सरकार के स्पोक्सपर्सन ने कहा कि सरकार मतदाताओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसी कारण इस दौरान ग्राम पंचायतों में उचित स्वच्छता, सैनिटाइजेशन और संक्रमण की रोकथाम के लिए राज्य के 75 जिलों के गाँवों में विशेष सैनिटाइजेशन अभियान चलाया गया।
प्रदेश में पंचायत चुनावों के बीच शनिवार (24 अप्रैल 2021) को उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन ने मुख्य चुनाव आयुक्त और राज्य निर्वाचन आयुक्त से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के शेष चरणों को स्थगित करने की माँग की थी। साथ ही कोरोना के कारण अपनी जान गँवाने वाले मतदान कर्मियों को कोरोना वॉरियर्स की तरह 50 लाख रुपए की धनराशि देने की भी माँग की।