राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कलराज मिश्र को हिमाचल प्रदेश का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को गुजरात का राज्यपाल बनाया गया है। आइए यहाँ हम दोनों नेताओं के राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डालते हैं। राष्ट्रपति के दफ्तर के अनुसार, दोनों जब अपना कार्यभार संभालेंगे, तभी से उनका कार्यकाल शुरू हो जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के नए राज्यपाल कलराज मिश्र
2014 में बनी मोदी सरकार में कलराज मिश्र को लघु उद्योग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था। 2014 में देवरिया से जीते कलराज मिश्र ने उम्र के कारण 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। उन्होंने सितंबर 2017 में मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भाजपा में 75 की उम्र पार कर चुके नेताओं को मंत्री न बनाने का निर्णय (अनाधिकारिक रूप से) लिया है, इसी कारण उन्होंने इस्तीफा दिया। कलराज मिश्र 3 बार राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।
मिश्र 2012 में लखनऊ ईस्ट विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव भी जीत चुके हैं। 78 वर्षीय मिश्र को उत्तर प्रदेश में भाजपा के सबसे वयोवृद्ध और अनुभवी नेताओं में एक माना जाता है। बचपन से ही संघ से जुड़े रहे मिश्र भाजयुमो के गठन के बाद संगठन के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके मिश्र का उत्तराखंड राज्य के गठन में भी अहम योगदान रहा है। अब उन्हें उनके लम्बे अनुभव को देखते हुए हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है।
गुजरात के राज्यपाल देवव्रत
आचार्य देवव्रत की राज्यपाल के रूप में नियुक्ति नई नहीं है। उन्हें अगस्त 2015 में ही हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था। अब वो गुजरात के राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालेंगे। वह कुरुक्षेत्र में स्थित गुरुकुल के लम्बे समय तक प्राध्यापक भी रहे हैं। उन्हें छात्रों के बीच अनुशासन और ईमानदारी को पसंद करने वाले अध्यापक के रूप में जाना जाता है। वह गुरुकुल में विभिन्न पदों को संभालते रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल रहते हुए 60 वर्षीय आचार्य देवव्रत ने सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए सक्रियता दिखाई और सीधे अधिकारियों के साथ बैठकें कर इस क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों का समय-समय पर जायजा लिया। उन्हें बाबा रामदेव के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों के कारण भी जाना जाता है।