पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान केरल के नए राज्यपाल होंगे। तीन तलाक को गैर कानूनी बनाने वाले बिल सहित कई मसलों पर वे हाल में केंद्र की मोदी सरकार के फैसले का समर्थन कर चुके हैं। 1986 में शाहबानो मामले में राजीव गॉंधी और कांग्रेस के स्टैंड से नाराज होकर खान ने पार्टी और केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इस मामले में राजीव गॉंधी की सरकार ने मुस्लिम नेताओं के दबाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कानून संसद से पास करवाया था।
खान के अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन और नए राज्यपाल नियुक्त किए हैं। राष्ट्रपति भवन की ओर से रविवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार डॉ. टी सुंदरराजन तेलंगाना की राज्यपाल बनाई गईं हैं। तमिलनाडु भाजपा की कमान उन्हीं के हाथों में है। बंडारू दत्तात्रेय हिमाचल प्रदेश और भगत सिंह कोशियारी महाराष्ट्र के गवर्नर बनाए गए हैं। इनके अलावा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र का तबादला कर उन्हें राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
Kalraj Mishra, Governor of Himachal is transferred & appointed as Governor of Rajasthan. Bhagat Singh Koshyari appointed as Governor of Maharashtra, Bandaru Dattatreya as Governor of Himachal, Arif Mohammed Khan as Guv of Kerala, Tamilisai Soundararajan as Governor of Telangana pic.twitter.com/oKOe8xUOOz
— ANI (@ANI) September 1, 2019
प्रगतिशील मुस्लिम चेहरे के तौर पर पहचान रखने वाले आरिफ़ मोहम्मद ख़ान 1951 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में पैदा हुए। उनका परिवार बाराबस्ती से ताल्लुक रखता है। बुलंदशहर ज़िले में 12 गाँवों को मिलाकर बने इस इलाक़े में शुरुआती जीवन बिताने के बाद ख़ान ने दिल्ली के जामिया मिलिया स्कूल से पढ़ाई की। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और लखनऊ के शिया कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की।
ख़ान छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़ गए थे। भारतीय क्रांति दल नाम की स्थानीय पार्टी के टिकट पर पहली बार उन्होंने बुलंदशहर की सियाना सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इसके बाद 26 साल की उम्र में 1977 में वो पहली बार विधायक चुने गए।
1980 में कानपुर और 1984 में बहराइच से लोकसभा चुनाव जीतकर वो सांसद बने। राजीव गाँधी की सरकार में मंत्री बने। शाहबानो के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की आरिफ़ मोहम्मद ने ज़बरदस्त पैरवी की थी और 23 अगस्त 1985 को लोकसभा में दिया गया उनका भाषण आज भी याद किया जाता है।
कॉन्ग्रेस से दो बार, जनता दल और बसपा से से एक-एक बार लोकसभा सदस्य रह चुके आरिफ़ मोहम्मद ख़ान 2004 में भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा के टिकट पर कैसरगंज सीट से चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गए। 2007 में उन्होंने भाजपा भी छोड़ दिया। उन्होंने वंदे मातरम का उर्दू में अनुवाद भी किया है।