केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दो से अधिक बच्चे होने पर माता-पिता का वोटिंग अधिकार ख़त्म करने की वकालत की है। गिरिराज सिंह ने कहा कि चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम, अगर 2 से अधिक बच्चे पैदा करता है तो उसे मताधिकार से वंचित कर देना चाहिए। गिरिराज सिंह ने ये बातें जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कही। वहीं, सपा सांसद आज़म ख़ान ने गिरिराज के इस बयान पर तंज कसते हुए कहा है कि दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर फाँसी ही दे देनी चाहिए। बिहार में भाजपा व जदयू ने गिरिराज के इस बयान का समर्थन करते हुए कहा कि जनसंख्या नियंत्रण क़ानून देश के हित में है।
वहीं, राजद विधायक भोला यादव ने कहा कि गिरिराज का बयान उनकी ओछी मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि गिरिराज सिंह को केंद्र में मंत्री नहीं होना चाहिए। कॉन्ग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्र ने कहा, “गिरिराज सिंह अनाप-शनाप बयान देते रहते हैं। यह मानवाधिकार हनन की बात है। हम किसी के बच्चे कैसे नियंत्रित कर सकते हैं?” विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर गिरिराज सिंह ने कहा:
“बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए बड़ी समस्या है और इससे संसाधन और सामाजिक समरसता को ख़तरा पैदा हो गया है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख़्त कानून की ज़रूरत है। इसके लिए सड़क से संसद तक प्रयास जरूरी हैं। देश में हिंदू-मुस्लिम दोनों के लिए दो बच्चों का नियम होना चाहिए। वोट के ठेकेदारों ने जनसंख्या को धर्म से जोड़ दिया है।”
हिंदुस्तान में जनसंख्या विस्फोट अर्थव्यवस्था सामाजिक समरसता और संसाधन का संतुलन बिगाड़ रहा है।
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) July 11, 2019
जनसंख्या नियंत्रण पर धार्मिक व्यवधान भी एक कारण है,हिंदुस्तान 47की तर्ज़ पर सांस्कृतिक विभाजन की ओर बढ़ रहा है।
सभी राजनीतिक दलों को साथ हो जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के लिए आगे आना होगा। pic.twitter.com/Do16IH42re
केंद्रीय मंत्री ने कई इस्लामी देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ भी जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बना है, लेकिन भारत में उसका विरोध किया जाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि जहाँ-जहाँ हिन्दुओं की जनसंख्या गिरती है, वहाँ-वहाँ सामाजिक समरसता को ख़तरा पैदा हो जाता है। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी का नाम लेते हुए कहा कि उनके जैसे लोग सामाजिक समरसता में सबसे बड़े बाधक हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत 1947 की तरह सांस्कृतिक विभाजन की ओर आगे बढ़ रहा है।