बिहार के मुजफ्फरपुर व आसपास के क्षेत्र में ‘एक्यूट इन्सेफ़लाईटिस सी सिंड्रोम (AIS)’ नामक बीमारी बच्चों पर कहर बन कर टूट रहा है। पिछले एक सप्ताह में 56 बच्चों की मौत के बाद राज्य के स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। मुजफ्फरपुर व वैशाली के विभिन्न अस्पतालों में इस बीमारी से एक दिन के भीतर 25 बच्चों के मरने की ख़बर के बाद क्षेत्र में हाहाकार मच गया है। अस्पतालों में कई बच्चे अब भी इस बीमारी से पीड़ित हैं, जिन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। सोमवार (जून 10, 2019) को आलम यह रहा कि हर कुछ मिनटों के अंतराल पर बच्चों की जान जाती रही।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इतनी मौतों की वजह जागरूकता की कमी है। मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि इस बीमारी से इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले ज्यादा मौतें हुई हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि स्थानीय स्तर पर इस बीमारी की रोकथाम को लेकर बनी गाइडलाइन्स के अनुपालन में कमी है। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि लोगों को पहले से अलर्ट रखा जाए। कुल मिला कर देखा जाए तो सूबे के 25 जिले अब तक इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल एसकेएमसीएच की स्थिति यह है कि पीआईसीयू भर जाने के कारण एक ही बेड पर दो-तीन बच्चों का इलाज़ होता रहा।
Bihar: 14 kids die in #Muzaffarpur due to #Encephalitis, over dozen admitted to hospitalshttps://t.co/HZGgP6Xjwf pic.twitter.com/sI57EIPcjI
— Financial Express (@FinancialXpress) June 10, 2019
लगातार पीड़ित बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हॉस्पिटल प्रशासन तीसरी यूनिट खोलने की तैयारी कर रहा है। गंभीर मरीजों को भी लाइन में लगाकर पीआईसीयू में भर्ती होना पड़ रहा है। एसकेएमसीएच में सोमवार को 44 में से 20 बच्चाें की माैत हाे गई। डॉक्टरों ने बताया कि चमकी बुखार (Encephalitis के लिए स्थानीय बोलचाल का शब्द) से पीड़ित बच्चों की उम्र 5-15 साल के बीच है। इस बीमारी के लक्षण तेज़ बुखार और शरीर में ऐंठन के रूप में दिखते हैं। 2012 में इस बीमारी से 120 बच्चों की मौत हो गई थी। पिछले वर्ष यह आँकड़ा 7 था, जो इस साल बढ़ कर 56 पहुँच चुका है।
प्रमंडलीय आयुक्त नर्मदेश्वर लाल ने अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान तैयारियों को आधा-अधूरा बताया। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि इस बीमारी को लेकर प्रचार-प्रसार में कोताही बरती गई है। नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने अस्पतालों में जाकर पीड़ितों का हालचाल जाना। स्थिति यह थी कि मुजफ्फरपुर और वैशाली के अस्पताल एक सप्ताह से परिजनों के चीत्कार से गूँज रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार, चमकी बुखार से ग्रस्त बच्चों के शरीर में चीनी की कमी पाई गई। अस्पतालों में मरीजों के मुकाबले चिकित्सकों की भी भारी कमी है।
इस बीमारी से बचाव की बात करते हुए वरिष्ठ चिकित्सक ने सलाह देते हुए कहा:
“बच्चों को धूप में नही जाने दें। दिन में दो से तीन बार बच्चों को स्नान जरूर कराएँ। रात को भूखे पेट नहीं सोने दें। पानी व नींबू की शर्बत पर्याप्त मात्र में पीने के लिए दें। तेज बुखार होने पर पानी से स्नान कराते हुए सर पर पानी की पट्टी दें। इसके साथ जल्द से जल्द निकट के अस्पताल में बच्चों को लेकर पहुँचना चाहिए। किसी ओझा-गुणी के चक्कर में समय नही गँवाना चाहिए। जितना जल्द अस्पताल पहुँचेंगे, बच्चा उतना ही जल्द स्वस्थ होगा।”