Friday, November 15, 2024
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आंध्र के जवाहर लाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में नमाज़ के लिए समतल किया गया मैदान, VC ने दी अनुमति: BJP ने किया विरोध

JNTUK के चांसलर GVR प्रसाद राजू ने बताया, "कुछ लोगों का एक समूह मुझ से यूनिवर्सिटी कैम्पस में एक दीवाल खड़ी करने की माँग की। इस माँग के पीछे नमाज़ पढ़ने को वजह बताया गया।"

आंध्र प्रदेश के काकीनाडा (Kakinada) स्थित जवाहर लाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में रमज़ान की नमाज़ के लिए मैदान को समतल किया गया। इस मामले में अब विवाद उठ खड़ा हुआ है। भाजपा ने शिक्षा केंद्रों को धार्मिक स्थल न बनाने की आवाज उठाई है। वहीं विश्वविद्यालय परिसर में नमाज़ पढ़ने वाले समूह ने वो जगह एक मुस्लिम सेठ द्वारा दान की गई बताते हुए वहाँ नमाज़ को जायज बताया है।

डेक्कन क्रॉनिकल के मुताबिक, JNTUK के चांसलर GVR प्रसाद राजू ने बताया, “कुछ लोगों का एक समूह मुझ से यूनिवर्सिटी कैम्पस में एक दीवाल खड़ी करने की माँग की। इस माँग के पीछे नमाज़ पढ़ने को वजह बताया गया। यह मामला न्यायालय में पेंडिंग है इसलिए मैंने दीवाल की अनुमति देने से मना कर दिया। फ़िलहाल उन्हें रमज़ान की नमाज़ के लिए झाड़ियों को साफ़ करने और वहाँ की जमीन को समतल करने की अनुमति दी गई है।”

वहीं भाजपा के स्थानीय नेताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जमीन को समतल करने की अनुमति वापस लेने की माँग की है। इस दौरान भाजपा नेता दुव्वुरी सुब्रह्मण्यम ने कहा, “शिक्षण संस्थानों में किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं होनी चाहिए। हमारी पार्टी ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल को चिट्ठी लिख कर बताया है कि एक धार्मिक समूह के द्वारा यूनिवर्सिटी की जमीन पर लंबे समय से अवैध कब्ज़ा है। अब वहाँ पर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के सहयोग से शॉपिंग काम्प्लेक्स बनाने की तैयारी है जबकि उस जमीन का विवाद कोर्ट में लंबित है। यह विश्वविद्यालय के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। राज्यपाल इस अवैध निर्माण को फ़ौरन रोकने का आदेश दें।”

भाजपा नेताओं ने जिस धार्मिक समूह पर यूनिवर्सिटी कैम्पस की जमीन पर अवैध कब्ज़े का आरोप लगाया है उसका नाम MEWA बताया जा रहा है। इस समूह के प्रभारी दीन ने डेक्कन क्रॉनिकल को बताया, “जमीन पर कोई विवाद नहीं है। दशकों पहले गुजरात के नूर सेठ नाम के व्यक्ति ने 6 एकड़ जमीन नमाज़ के लिए दान में दी थी। इसे आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने भी चिह्नित किया है। इस जमीन पर रमज़ान की नमाज़ दशकों से हो रही है। मैं बचपन से यहाँ रमज़ान और बकरीद पर नमाज़ होते देख रहा हूँ।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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