अफगानिस्तान में कट्टरपंथी तालिबान (Afghanistan, Taliban) शासन द्वारा वहाँ की लड़कियों की शिक्षा पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इसको लेकर बॉलीवुड के गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने सवाल उठाया है। जावेद अख्तर के इस ट्वीट पर कट्टरपंथियों ने उन्हें घेर लिया।
जावेद अख्तर ने ट्वीट किया, “तालिबानियों ने इस्लाम के नाम पर सभी महिलाओं और लड़कियों के स्कूल-कॉलेजों और नौकरियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारतीय मुस्लिम पर्सनल बोर्ड और अन्य इस्लामिक विद्वानों ने इसकी निंदा क्यों नहीं की। क्यों। क्या वे तालिबानियों से सहमत हैं?”
Talibanss have banned all women and girls from the schools colleges unversitied and all the jobs in the name of Islam . Why have Indian Muslim personal board and other Islamic scholar not condemned this . Why . Do they agree with Talibans
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) January 5, 2023
इसको लेकर अल हिंद नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “श्याम बिहारी की चौथी पीड़ी तू ज़्यादा दख़ल ना दे शरीयत में।”
श्याम बिहारी की चौथी पीड़ी तू ज़्यादा दख़ल ना दे शरीयत में
— Al Hind (@AlHiindd) January 5, 2023
आदिल साइन नाम के यूजर ने लिखा, “जावेद भाई, अपने मुल्क की चुनौतियों को पहले समझ लें, फिर पड़ोसी मुल्क की बातों पर सोचा जाए। पर नहीं आप तो आप हैं… ऐसी उम्र में लोग थोड़े चिंतित हो ही जाते हैं.. उम्र का कसूर है आप तो मासूम हैं।”
Javed Bhai,apne mulk ki pareshaniyon ko pahle samet Len phir pados mulk ki baaton par soncha jaaye.
— Adil_shine (@shine_adil) January 5, 2023
Par nahi aap toh aap hain…aisi umr me log thode cheent ho hi jaate hai..umr ka qusoor hai aap to maasoom hain.
सलमान नाम के यूजर ने लिखा, “भाई सब क्यों अपनी दुर्गति करवाने पर तुले हैं? आपका इस्लाम से कोई लेना देना है क्या?AIMPLB का तालिबान से कोई कनेक्शन बता रहे हो क्या? बेकार क्यों अपनी टाँग फैला रहे हो..जब किसी ने सपोर्ट नहीं किया है तो जरूरी है कि निंदा करें।”
फावेद मियां, क्योंकी वो अभी पहले हिजाब फिर किताब में व्यस्त हैं…. जब सबको हिजाब पहनाने के मकसद में कामयाब हो जाएंगे तो वो भी किताब का रास्ता बन्द कर देंगे pic.twitter.com/dmqUH1T19P
— दलीप पंचोली 🇮🇳 (@idalippancholi) January 5, 2023
नीलिमा पवार नाम की एक यूजर ने लिखा, “हाँ, भारत के 99% मुस्लिम सहमत हैं और वही शरिया यहाँ लाना चाहते हैं। इसलिए श्रद्धा के कितने भी टुकड़े हो चुप रहते हैं। गजवा-ए-हिंद के सपने देखते है। चाचा आप भी जाग जाओ, क्यूँकी शरिया में गैर मुस्लिम ही नहीं, जो शरिया ना माने वह भी काफिर है। पाकिस्तान में शिया, अहमदिया सभी काफिर हैं।”
हा,भारत के 99% मुस्लिम सहमत है,ओर वही शरिया वो यहाँ लाना चाहते हैं.इस लिये श्रध्दा के कितने भी तुकडे हो चूप रहते हैं.गझवा-ए-हिंद के सपने देखते है.चाचा आप भी जाग जाओ क्यूकी शरिया में गैर मुस्लिम ही नहीं जो शरिया ना माने वह भी काफिर है.पाकिस्तान में शिया, अहमदीयां सभी काफिर है.
— Nilima Pawar 🇮🇳🙏. (@NilimaPawar13) January 5, 2023
संकेत एस जोशी ने लिखा, “मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि इन इस्लामिक देशों का किसी भी क्षेत्र के विकास में क्या योगदान है, जिससे मानव को लाभ होता है। वैज्ञानिक अनुसंधान, उत्पाद विकास, कला, खेल, शिक्षा में कोई बड़ी भूमिका नहीं… लेकिन गोला-बारूद के संबंध में उन्नत तकनीक का उपयोग करने में अग्रणी।”
I always wonder what is the contribution of these Islamic countries towards development in any sector which benefitting human beings.
— Sanket S. Joshi (@JoshiSanket5) January 5, 2023
No major roles in Scientific research,Product development,Arts,Sports,education….
But leading in using advanced technology regarding ammunition
T. Burhagohain नाम की एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा, “इस्लाम में ईसाई और हिंदू धर्म की तरह एक मजबूत सुधार आंदोलन होना चाहिए। इस धर्म की शुरुआत से इस्लाम में कोई सुधार नहीं हुआ है।”
There should be a strong reform movement in Islam like Christianity and Hinduism. There’s been no reform in Islam since the beginning of this religion.
— T. Burhagohain (তুলিকা) (@Tbughn) January 5, 2023
अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने 21 दिसंबर 2022 को एक फरमान जारी करते हुए कहा कि अब तालिबानी महिलाएँ नौकरी और पढ़ाई नहीं करेंगी। तालिबान ने तर्क दिया था, ”विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जा रहे कुछ विषय इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ हैं।” इसके साथ ही उसने यह भी कहा था कि लड़कियों पर पश्चिमी देशों का रिवाज हावी हो रहा है।