Monday, December 23, 2024
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पश्चिम बंगाल के DGP हटाए गए, ‘प्रतिकूल’ रिपोर्ट के बाद EC का फैसला, कहा – ‘चुनाव संबंधी नहीं मिले कोई भी पोस्टिंग’

पश्चिम बंगाल के स्पेशल जनरल ऑब्जर्वर अजय नायक और स्पेशल पुलिस ऑब्जर्वर विवेक दुबे और मृणाल कांती दास ने रिपोर्ट भेजी थी और DGP वीरेंद्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए थे। वीरेंद्र का झुकाव टीएमसी की ओर बता कर...

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने एक बड़ा निर्णय लिया है। आयोग ने राज्य में डीजीपी वीरेंद्र का तत्काल प्रभाव से तबादला करते हुए उनकी जगह 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी नीरंजन को नियुक्त किए जाने के आदेश दिए हैं

यह फैसला अधिकारी के व्यवहार बर्ताव की ‘प्रतिकूल’ रिपोर्ट मिलने पर लिया गया। आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि तबादला होने के बाद भी वीरेंद्र को चुनाव से संबंधित कोई भी जिम्मेदारियाँ न दी जाएँ। 

बता दें कि पोल पैनल ने मंगलवार (मार्च 10, 2021) को तमिलनाडु के दो अन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी एक्शन लिया। इसमें चेन्नई में इनकम टैक्स के ज्वाइंट कमिश्नर के जी अरुणराज और चेंगलपत्तू एसपी डी कन्नन भी शामिल हैं। इनके ख़िलाफ़ भी प्रतिकूल रिपोर्ट पाने के बाद आयोग ने इनके विरुद्ध कार्यवाही की।

मुख्य सचिव को भेजा गया पत्र

कन्नन का तबादला एक एफआईआर के कारण हुआ, जिसमें एक महिला आईपीएस ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया हुआ था। इसी शिकायत को देखते हुए कमीशन ने न केवल कन्नन को तत्काल प्रभाव से निलंबन पर भेजा, साथ ही इस केस में आवश्यक कार्रवाई करने को भी कहा।

चुनाव आयोग ने बंगाल के मुख्य सचिव से डीजीपी वीरेंद्र की पोस्टिंग को लेकर बुधवार 10 बजे तक अनुपालन रिपोर्ट माँगी है। वहीं सीबीडीटी को अरुणराज से संबंधित रिपोर्ट भेजने को भी सुबह 10 बजे तक का समय दिया गया है। इसी तरह कन्नन को लेकर रिपोर्ट की माँग तमिलनाडु के मुख्य सचिव से की गई है। लेकिन समय उन्हें बुधवार को सुबह 11 बजे तक का दिया गया है।

तृणमूल कॉन्ग्रेस ने इस फैसले के बाद इसे राजनीतिक हस्तक्षेप करार दिया है। पार्टी सांसद सौगात रॉय ने कहा, “हमने ये पहले ही कहा था कि हमें आयोग के निर्णय में राजनीतिक प्रभाव लग रहा है। आयोग वो कर रहा है, जो भाजपा की माँग है। पहले उन्होंने आठ चरणों में वोटिंग तय की। अब ट्रांसफर। वीरेंद्र एक अच्छे अधिकारी हैं। वह जो भी कर लें, टीएमसी ये चुनाव जरूर जीतेगी।”

वहीं भाजपा के प्रवक्ता क्षमिक भट्टाचार्या ने इस फैसले का स्वागत किया। वह बोले, “जब हमारे राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमला हो रहा था, वह मारे जा रहे थे, हमें प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली। ऐसा जाहिर है चलने वाला नहीं था। हमें उम्मीद है, इस निर्णय से प्रशासन में निष्पक्षता आएगी।”

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, संभव है अभी और अधिकारियों पर तबादलों की गाज गिरे। पश्चिम बंगाल के स्पेशल जनरल ऑब्जर्वर अजय नायक और स्पेशल पुलिस ऑब्जर्वर विवेक दुबे और मृणाल कांती दास ने आयोग को कुछ दिन पहले इस बाबत रिपोर्ट भेजी थी और वीरेंद्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए थे। रिपोर्ट में वीरेंद्र का झुकाव टीएमसी की ओर बताया गया था।

मालूम हो कि बीजेपी पहले से ही डीजीपी वीरेंद्र पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी होने व उनके निर्देश पर काम करने का आरोप लगाती रही है। दूसरी ओर, बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी डीजीपी वीरेंद्र के खिलाफ लगातार हमलावर रहे हैं।

कुछ महीने पहले जब बंगाल के सीमावर्ती मुर्शिदाबाद जिले से राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने अलकायदा के कई आतंकियों को गिरफ्तार किया था तो राज्यपाल ने सीधे तौर पर डीजीपी की भूमिका पर सवाल उठाए थे। राज्यपाल का कहना था कि एनआइए दिल्ली से आकर आतंकियों को गिरफ्तार कर ले जाती है लेकिन राज्य पुलिस को कोई जानकारी नहीं थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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