CBI ने परिवहन आरक्षक भर्ती घोटाला मामले में 26 आरोपितों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दाख़िल कर दिया है। जाँच एजेंसी ने इस मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा और 7 अन्य को क्लीन-चिट दे दी है। 2014 में इस स्कैम के सामने आने के बाद स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने शर्मा को गिरफ़्तार भी किया था। घोटाले में नाम आने के बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था।
CBI ने जो आरोप-पत्र तैयार किया है, उसमें लक्ष्मीकांत शर्मा के अलावा उनके ओएसडी रहे ओमप्रकाश शुक्ला, आईजी स्टाम्प इंद्रजीत कुमार जैन, तरंग शर्मा, भरत मिश्रा, मोहन सिंह ठाकुर, सुरेंद्र कुमार पटेल और संतोष सिंह उर्फ राजा तोमर को क्लीन-चिट दी गई है। विशेष न्यायाधीश सुरेश सिंह की अदालत में पेश किए गए चार्जशीट में CBI ने आरोपितों के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत न मिलने क्लीन-चिट देने की वजह बताई।
बता दें कि 2012 में मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल (MPPEB) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में घोटाले की बात सामने आई थी, जिसके बाद इसकी जाँच CBI को सौंप दी गई थी। इस परीक्षा में 56,000 से भी अधिक छात्र शामिल हुए थे। इस घोटाले के सामने आने के बाद इसका नाम प्रोफेशनल एग्ज़ामिनेशन बोर्ड (Professional Examination Board) रख दिया गया था।
सीबीआई द्वारा जिन 26 आरोपितों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दायर की गई है, उन पर जालसाजी, आपराधिक षड्यंत्र, भ्रष्टाचार निरोधक कानून, आईटी कानून और अन्य सम्बद्ध धाराएँ लगाई गई हैं। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल को शॉर्ट में व्यापम के नाम से जाना जाता है।
आरोप-पत्र में उन लोगों के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने उम्मीदवारों और व्यापम अधिकारियों के बीच बिचौलियों की भूमिका निभाई थी। इनके अलावा ऐसे कई नाम शामिल हैं, जो वास्तविक उम्मीदवारों के बदले फ़र्जी उम्मीदवार बन कर परीक्षा में शामिल हुए थे। व्यापम के पूर्व प्रमुख अधिकारी रहे पंकज त्रिवेदी सहित मण्डल के कई बड़े नाम भी इसमें शामिल हैं।
CBI द्वारा चार्जशीट दायर करने के साथ ही अब पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को अदालत से बरी करने की बस औपचारिकता बाकी रह गई है।